न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
दिल्ली में प्रदूषण फिर बढ़ने लगा है। पिछले लगभग क महीने से रोजाना शहर की हवा में प्रदूषण के आंकड़े खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोशल मीडिया पर डाल रहे हैं। शुरू में ये आंकड़े प्रदूषण के मानकों से नीचे दिखे, लेकिन अब वे बढ़ते जा रहे हैं।
वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार 18 अक्टूबर से ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ’ अभियान शुरू करने जा रीह है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने लोगों से अपील की है कि वे शहर के तमाम चौराहों पर रेड लाइट होने पर वाहनों के इंजन बंद करके प्रदूषण में कमी लाने में मदद करें। उन्होंने कहा कि इसी तरह हफ्ते में कम से कम एक बार वाहनों को घर से न निकालें।
केजरीवाल का कहना था कि कुछ दिनों से दिल्ली में वायु प्रदूषण में बढ़ोत्तरी होने लगी है। उनका दावा था कि स्थानीय स्तर पर होने वाला प्रदूषण तो अभी भी नियंत्रण में है, लेकिन आसपड़ोस के राज्यों ने खेतों पराली जलाना शुरू हो चुका है और उसका धुआं दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा रहा है। कुछ ही दिन पहले दिल्ली सरकार ने केंद्र से अपील की थी कि सभी पड़ोसी राज्यों को खेतों में पराली से निपटने के लिए बायो डीकंपोजर का इस्तेमाल करने को कहा जाए। दिल्ली में इस बायो डीकंपोजर के बहुत अच्छे नतीजे आए हैं जिसे पूसा इंस्टीट्यूट ने तैयार किया है। इस तरह दिल्ली सरकार ने पड़ोसी राज्यों से त्योहारों पर पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की भी अपील की थी। दिल्ली में पटाखों पर पाबंदी लगाई जा चुकी है। यह अलग बात है कि पटाखों के पक्ष में कुछ लोग अदालत की शरण में चले गए हैं।
बहरहाल, मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली वालों को पिछले साल की तरह इस साल भी ‘रेड लाइ’न ऑन, गाड़ी ऑफ’ की पहल करनी होगी। केजरीवाल के मुताबिक विशेषज्ञों का मानना है कि रेड लाइट पर इंजन बंद करने से 13 से लेकर 20 फीसदी तक प्रदूषण कम हो जाता है। इसी तरह ऐसा करने से 250 करोड़ रुपए से ज्यादा के ईंधन की भी बचत हो सकती है। उन्होंने लोगों से वाहन शेयर करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि हफ्ते में एक बार लोग अपने वाहन छोड़ कर बसों या मेट्रो का इस्तेमाल करें या फिर कार पूल करें।
इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के किसी भी नागरिक को अगर कोई वाहन प्रदूषण फैलाता दिखे तो वह फौरन ग्रीन दिल्ली ऐप पर इसकी शिकायत करे। उनका कहना था कि लोग चाहें तो प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की भी शिकायत कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा करने के लिए लोगों को अपने मोबाइल फोन पर ग्रीन दिल्ली ऐप डाउनलोड करना होगा।
इस बीच केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का मानना है कि इस बार पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की अपेक्षाकृत कम रोपाई हुई है। इसके कारण इस बार पिछले साल के मुकाबले बारह फीसदी तक पराली कम बचेगी। जाहिर है कि उसे जलाने के मामलों में भी कमी आगी। असल में पूरे एनसीआर के लोगों को अक्टूबर और नवंबर में खेतों में पराली जलाए जाने से पैदा होने वाले धुएं की मार झेलनी पड़ती है।
केन्द्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का अनुमान है कि इस बार धान की बिवाई का क्षेत्र पिछले साल के मुकाबले 7.72 फीसदी कम रहा है। खास कर गैर बासमती धान की पराली को ही खेतों में जलाया जाता है। आयोग के हिसाब से धान के रकबे में आई कमी के कारण इस साल पराली भी 12.42 फीसदी तक घट जाएगी। उसके मुताबिक पिछले साल संबंधित राज्यों में पराली का कुल उत्पादन 28.4 मिलियन टन था जो इस साल घट कर 26.21 मिलियन टन रह जाएगा।
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