न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने आखिरकार आठ महीने बाद फोन टैपिंग के उस आरोप को स्वीकार कर लिया है जो उस पर आठ महीने पहले लगाए गए थे। यह पिछले साल जुलाई की बात है जब सचिन पायलट खेमे की बगावत के बाद गहलोत अपनी सरकार बचाने में जुटे हुए थे।

इस मामले पर राजस्थान विधानसबा में मंगलवार लगभग पूरे दिन हंगामा होता रहा और चार बार सदन की कार्यवाही स्थगित की गई। विपक्ष यानी भाजपा के सदस्य फोन टैपिंग पर चर्चा चाहते थे जबकि स्पीकर इस मामले में नए तथ्यों के बगैर चर्चा करवाने को तैयार नहीं थे। सदन में नारेबाजी और हंगामे की स्थिति यहां तक पहुंची कि भाजपा विधायक मदन दिलावर को सात दिन के लिए निलंबित कर दिया गया।

असल में अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा में पिछले हफ्ते एक जवाब में कहा कि सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टेप किए जाते हैं। नवंबर 2020 तक फोन टेप के सभी मामलों की मुख्य सचिव स्तर पर समीक्षा भी की जा चुकी है। भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के पूछे एक सवाल पर गृह विभाग ने यह जवाब दिया है। इसे विधानसभा की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया। यह सवाल अगस्त में पूछा गया था। इस जवाब को बागी विधायकों की फोन टैपिंग से संबंधित इसलिए माना जा रहा है कि कांग्रेस के बागी विधायकों और एक केंद्रीय मंत्री की फोन पर कथित बातचीत का एक टेप इससे कुछ दिन पहले ही सामने आया था।

असल में सचिन पायलट खेमे के उन्नीस विधायकों ने जुलाई में गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी और ये विधायक हरियाणा के मनेसर के एक होटल में ठहराए गए थे। तब 15 जुलाई को गहलोत गुट की तरफ से कुछ ऑडियो टेप जारी किए गए और दावा किया गया कि इनमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और तत्कालीन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की बातचीत रिकॉर्ड थी जिसमें सरकार गिराने और पैसों के लेनदेन की बातें थीं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार-बार कह रहे थे कि उनके पास सरकार गिराने में भाजपा नेताओं की भूमिका और करोड़ों के लेनदेन के सबूत हैं। लेकिन राज्य सरकार ने तब टैपिंग की बात नहीं मानी थी। जिन नेताओं की आवाज इन टेप में बताई जा रही थी उनके वॉयस टेस्ट भी नहीं हुए थे। उस प्रकरण में विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त संबंधी जांच एसीबी और एटीएस कर रही है।

भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने अपने सवाल में पूछा था कि क्या पिछले दिनों फोन टेप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं? यदि हां तो किस कानून के अंतर्गत और किसके आदेश पर? जवाब में सरकार ने कहा है कि लोगों की सुरक्षा या कानून व्यवस्था को खतरा होने पर सक्षम अधिकारी की अनुमति से भारतीय तार अधिनियम 1885 और आईटी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार फोन टेप किए जाते हैं। राजस्थान पुलिस ने इन प्रावधानों के तहत ही सक्षम अधिकारी से मंजूरी लेकर फोन टेप किए हैं। सर्विलांस पर लिए गए फोनों की मुख्य सचिव के स्तर पर बनी समिति समीक्षा करती है। पिछले नवंबर तक के फोन सर्विलांस और टेपिंग के मामलों की समीक्षा की भी जा चुकी है।