न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 फीसदी से बढ़ा कर 74 प्रतिशत करने वाले बीमा संशोधन विधेयक को पिछले हफ्ते राज्यसभा ने पारित कर दिया। विधेयक पर चर्चा में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विदेशी निवेश की सीमा बढ़ने से संबंधित कंपनियों को पूंजी की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

वित्तमंत्री ने कहा कि इस संशोधन का मकसद है कि कंपनियां यह तय कर सकें कि उन्हें किस सीमा तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लेना है। उन्होंन कहा कि यह ना तो विनिवेश और ना ही निजीकरण वाली बात है। बीमा क्षेत्र के नियामक ने सभी पक्षों के साथ विचार विमर्श के बाद ही विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाने का निर्णय लिया है।

निर्मला सीतारमण का कहना था कि 2015 में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ा कर 49 फीसदी किया गया था। तब से अब तक इस क्षेत्र में 26 हजार करोड़ रुपए का विदेशी निवेश आया है। उन्होंने कहा कि निवेश की सीमा बढ़ने से बीमा कंपनियां अपनी पूंजी की जरूरतों को पूरा कर सकेंगी। साथ ही इससे इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे लोगों को बेहतर पैकेज, बेहतर प्रीमियम की सुविधा मिलेगी। साथ ही लोगों के लिए रोजगार के मौके उपलब्ध होंगे।

बताय जाता है कि इरडा ने 60 से ज्यादा बीमा कंपनियों, प्रमोटरों, आर्थिक विशेषज्ञों और अन्य पक्षों से इस मामले में विचार विमर्श किया जिन्होंने बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने का समर्थन किया था। सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस फैसले से ग्राहकों को ढेर सारे नए उत्पाद मिलेंगे और वे बेहतर उत्पाद छांट सकेंगे। जीवन बीमा हो या जनरल बीमा, दोनों में उनको ज्यादा विकल्प मिलेंगे। खास कर जनरल में हेल्थ इंश्योरेंस और गाड़ियों के बीमा में बड़े बदलाव हो सकते हैं। हो सकता है कि जीवन बीमा में लोगों को निवेश जैसा बीमा मिल सकता है। अभी इस मामले में ज्यादातर बीमा जोखिम कवर करने वाले हैं।