न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

कोरोना के हालात को देखते हुए झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने तय किया है कि राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की पाठ्य-पुस्तकों की होम डिलीवरी होगी। इस फैसले के दायरे में पहली से दसवीं कक्षा तक के छात्र आएंगे। सरकार ने तय किया है कि छात्रों या उनके अभिभावकों को पाठ्य पुस्तकें लेने के लिए कहीं भी बुलाया नहीं जाएगा।

यह फैसला इसी मंगलवार राज्य के गृह व आपदा प्रबंधन विभाग ने लिया। विभाग के अवर सचिव विजय कुमार ने स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव से कहा है कि पहली से दसवीं तक के सभी छात्र-छात्राओं के घरों पर पाठ्य पुस्तक पहुंचाई जाए। किसी और जगह इनका वितरण नहीं किया जाए। इसके साथ ही स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग पाठ्य पुस्तकों के वितरण की गाइडलाइन तैयार करने में जुट गया है। झारखंड शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने भी इसकी तैयारी शुरू कर दी है।

बताया गया है कि राज्य सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं कक्षा तक के सभी छात्र-छात्राओं को जबकि नौंवीं व दसवीं की छात्राओं को सभी पाठ्य पुस्तकें मुफ्त दी जाती हैं। इससे पहले जेसीईआरटी ने निर्देश दिया था कि बच्चे या उनके अभिभावक स्कूल से आकर किताबें ले सकते हैं। मगर मुख्य सचिव और आपदा प्रबंधन के निर्देश के बाद अब स्कूल से बच्चों तक पाठ्य पुस्तक पहुंचाने की व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है।

स्कूलों से कहा जा रहा है कि वे कक्षाओं के हिसाब से बच्चों की किताबों का सेट तैयार करें और उनके घर तक पहुंचाएं। पाठ्य-पुस्तकें बांटने में स्कूल के प्रधानाध्यापक या प्रभारी, शिक्षक, विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों की अहम भूमिका होगी। इस मामलें उनकी जिम्मेदारियां तय की जाएंगी।