न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
छत्तीसगढ़ में हाथियों को गांवों में घुसने से रोकने के प्रयासों पर राजनैतिक विवाद खड़ा हो गया है। राज्य सरकार का वन विभाग हाथियों को रोकने के लिए उन्हें सड़ा धान खिलाने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है। मगर विपक्ष का कहना है कि हाथी सड़ा धान अगर खा भी लेगें तो उन्हें इसकी लत लग सकती है और उस हालत में वे फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु देव साय का कहना था कि हाथी तो पूरे प्रदेश में घूम रहे हैं, क्या सभी जगह सरकार सड़ा धान बिछा देगी? रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विष्णु देव साय ने कहा कि पिछले दिनों सरगुजा के मैनपाट इलाके में नौ लोगों की मौत हाथियों की हमले में हुई है। उन्होंने दावा किया कि जिन इलाकों में हाथी आते हैं वहां सरकार कोई पुख्ता बंदोबस्त नहीं कर रही। इससे लोग परेशान है।
वैसे राज्य के नौ जिलों में तीन सौ से ज्यादा हाथियों का आतंक है। यह आतंक लंबे समय से चला आ रहा है। भोजन की तलाश में हाथी रायपुर के करीब मंदिर हसौद और महासमुंद शहर तक पहुंच चुके हैं। राज्य का वन विभाग इसके लिए मार्कफेड से सड़ा हुआ धान खरीदना चाहता है। इस सड़े गले धान को खेतों में रखा जाएगा। मार्कफेड के प्रबंध निदेशक ने पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ को एक पत्र भेज कर धान खरीदने का प्रस्ताव भी दिया है।
बताया जाता है कि हाथियों को सड़ा धान खिलाने पर प्रयोग हो रहे हैं। माना जाता है कि बसावट वाली जगहों के करीबी जंगलों या बस्ती के बाहर धान उपलब्ध होने पर हाथी गांव या कस्बे के भीतर नहीं जाएंगे। इससे लाभ यह भी होगा कि संग्रहण केंद्रों में जमा 85 हजार टन धान को खपाया जा सकेगा।
Comments are closed for this post.