महामारी के दौरान शादियों में केवल 50 लोगों की उपस्थिति की अनुमति के कारण शादी उद्योग को भारी नुक्सान हो रहा है। देश में यह उद्योग सालाना लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार करता रहा है, लेकिन अब यह संकट में है।

  शादियों से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक अगर सरकार ने शादी समारोह में शामिल होने वालों की संख्या में छूट नहीं दी तो आगामी 25 नवंबर से शुरू होने जा रहे शादियों के सीजन में उन्हें और भी नुक्सान होने वाला है। अपने नुक्सान के अलावा वे यह भी कहते हैं कि इस उद्योग से जुड़े लाखों मजदूरों को भी रोजगार से हाथ धोना पड़ सकता है। उनका अनुमान है कि पूरे उद्योग को इससे लगभग एक लाख करोड़ रुपए का झटका लग सकता है।

  आल इंडिया टैंट डेकोरेटर वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों मुताबिक शादी समारोह नहीं होने या उनमें ज्यादा लोगों को सामिल होने की छूट नहीं मिलने से आर्थिक हालात और खराब हो सकते हैं। एसोसिएशन का कहना है कि शादी उद्योग से देश में टेंट, मैरिज गार्डन, केटरिंग, डेकोरेशन और इवेंट समेत करीब तीन करोड़ कारोबारी लोग हैं। उसका यह भी दावा है कि इस उद्योग से हर साल करीब बारह से तेरह करोड़ लोगों तक को रोजगार मिलता है। एसोसिएशन के हिसाब से इस साल लॉकडाउन की वजह से मार्च से जुलाई के बीच शादियां टलने या उनके सीमित होने से उद्योग को करीब 20 हजार करोड़ रुपए का नुकसान पहले ही हो चुका है।

  पिछली 19 अगस्त को गृह मंत्रालय की संसदीय समिति और केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल को एसोसिएशन की तरफ से इस सिलसिले में एक ज्ञापन भी दिया गया। इस ज्ञापन में सरकार से शादी समारोह में तीन से चार सौ मेहमानों के शामिल होने की छूट देने, बिजली के बिलों में स्थायी शुल्क हटाने, मध्यम वर्ग के टेंट कारोबारियों को बिना ब्याज 25 लाख रुपए का कर्ज देने और बड़े कारोबारियों के लिए एक करोड़ की बैंक लिमिट जारी करने की मांग की है।

  देश में हर साल लगभग एक करोड़ शादियां होती हैं। इवेंट मैनेजमेंट वाले, फूल, लाईट, जनरेटर, डीजे साउंड, बैंड, फोटोग्राफर, आर्केस्ट्रा, केटरिंग, हलवाई, विवाह स्थल वाले इन शादियों के ही भरोसे हैं। इनके अलावा कपड़ा, ज्वैलरी, फुटवियर, किराना समेत कारोबारियों के कई वर्ग शादी उद्योग से जुड़े हुए हैं। उनकी शादियों के सीजन में सबसे ज्यादा कमाई होती है।