बॉस्टन, अमेरिका से सुधांशु मिश्रा
कई वरिष्ठ रिपब्लिकन नेताओं ने पिछले दिनों ऐसे बयान दिए हैं जिनसे लगता है कि वे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से दूरी बना रहे हैं। इसके मूल में ट्रम्प की वही रट है कि मतदान में, खास कर पोस्टल बैलेट में धांधली हुई है। यह अलग बात है कि उन्होंने अब तक धांधली का कोई साबित हो सकने लायक सबूत नहीं दिया है। पेंसिलवेनिया और दूसरे कई प्रांतों में धांधली को लेकर राष्ट्रपति ट्रम्प के लोगों ने जो मुकदमे दायर किए थे उनमें कुछ खारिज किए जा चुके हैं और कुछ में वकालतनामा वापस ले लिया गया है।
इस सोमवार मिशिगन में भी जो बाइडन की जीत की घोषणा कर दी गई। साथ ही डोनाल्ड ट्रंप करीब तीन हफ्ते बाद अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के लिए तैयार हो गए। यह अलग बात है कि उन्होंने हार अभी भी नहीं मानी है और अपनी जंग जारी रखने पर अड़े हैं। फिर भी उन्होंने जनरल सर्विसेज़ एडमिनिस्ट्रेशन की प्रमुख एमिली मर्फी को सत्ता परिवर्तन की शुरूआत करने का निर्देश दिया।
प्रेक्षक इस बात पर आश्चर्य जता रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रम्प की बेटी इवांका अब तक खामोश हैं और (लड़ाई की) बागडोर ट्रम्प के दोनों बेटों और उनके वकील रूडी जूलियान ने संभाल रखी है। न्यूयार्क टाइम्स के अनुसार राष्ट्रपति ट्रम्प के कई सलाहकारों ने उन्हें मुकदमे हारने की आशंकाएं बता दी हैं। ट्रम्प के मुखर समर्थक रहे फॉक्स नेटवर्क ने कुछ दिन पहले सलाह दी थी कि उन्हें हार मान लेनी चाहिए। ‘न्यूयार्क पोस्ट’ अखबार के सुर भी एकदम बदल गए हैं। चुनाव के ठीक पहले तक यह अखबार ट्रम्प को ‘अविजित’ और ‘अजेय’ बताता नहीं अघाता था, लेकिन हाल में उसने अपने संपादकीय में लिखा कि धांधली संबंधी ट्रम्प के आरोप बेबुनियाद हैं। फॉक्स और यह अखबार मीडिया मुगल रूपर्ट मुरडॉक के स्वामित्व में हैं।
अमेरिकी चुनाव व्यवस्था सुव्यवस्थित और काफी विकेंद्रित है। इस मामले में अधिकांश जिम्मेवारी स्थानीय प्रशासन की होती है क्योंकि इस देश में कोई एकीकृत संघीय चुनाव आयोग नहीं है। प्रांतीय सरकारों पर वोटरों को शिक्षित करने और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने का दायित्व है। यही वजह है कि विभिन्न प्रांतों, यहां तक कि विभिन्न जिलों में भी चुनाव की व्यवस्था भिन्न तरीके से होती है। ऐसे में चुनाव को लेकर धांधली की शिकायतें लगभग हर बार उठती हैं। एक बराक ओबामा का चुनाव इसका अपवाद रहा है।
एकीकृत चुनाव व्यवस्था नहीं होने से वोटिंग में गड़बड़ी की शिकायतें कुछ हद तक स्वाभाविक मानी जा सकती हैं, लेकिन इस मामले में पिछले कई चुनावों से एक नई शिकायत जुड़ गई है। ये है वोटिंग मशीनों को हैक करने की शिकायत। ट्रम्प प्रशासन इसके लिए रूस, चीन, ईरान और उत्तर कोरिया को दोष दे रहा है। वोटरों के रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी के लिए भी उनका प्रशासन इन्हीं देशों को जिम्मेवार बता रहा है। सन् 2000 के चुनाव में फ़्लोरिडा में वोटों के विवाद के बाद अमेरिकी संसद यानी कांग्रस ने कानून बना कर इलेक्ट्रॉनिक मशीनों के पेपर बैक-अप को अनिवार्य कर दिया था। लेकिन इस बार ट्रम्प जो आरोप लगा रहे हैं उनका निशाना पेपर बैलेट ही नहीं, वोटर पंजीकरण और डाक से वोटिंग की तमाम व्यवस्था भी है।
अदालतों के निर्देश पर साईबर सिक्योरिटी की पुख्ता व्यवस्था, वोटों का पेपर वैरिफिकेशन, मतदान के बाद वोटों का ऑडिट, डाक से आए वोटों की दोहरी और तिहरी गिनती, वोटिंग मशीनों के सत्यापन आदि को अनिवार्य किया गया था। हर चुनाव के बाद एक निष्पक्ष संस्था प्रांतों के चुनाव प्रबंधन की गहरी जांच कर संसद को रिपोर्ट देती है। यह व्यवस्था ओबामा प्रशासन में लागू हुई थी। 2018 के मध्यावधि चुनाव की रिपोर्ट से पता चलता है कि नब्बे प्रतिशत उन राज्यों में जहां रिपब्लिकन पार्टी का शासन था, निष्पक्ष वोटिंग सुनिश्चित करने की गरज से दिए गए निर्देशों का पालन बड़ा ही लुंज-पुंज था और उन्हीं प्रांतों में चुनावी धांधली को लेकर ट्रम्प की ओर से मुकदमे दर्ज किए गए हैं। यह दिलचस्प है कि जार्जिया समेत इन सभी प्रांतों में रिपब्लिकन पार्टी के गवर्नर तब भी थे और अब भी हैं और इनमें ज्यादातर प्रांतों में बॉयडन जीते हैं। इनमें से कुछ प्रांतों के गवर्नरों ने तो ट्रम्प को धांधली साबित करने की चुनौती भी दे डाली है।
पिछले दिनों राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इस आरोप पर कि उनको मिले 27 लाख वोट जानबूझ कर डिलीट यानी रद्द कर दिए गए, मुख्य चुनाव अधिकारियों के राष्ट्रीय संगठन ने प्रेस कान्फ्रेंस करके कहा कि 2020 जैसे सुरक्षित चुनाव देश के इतिहास में कभी नहीं हुए थे। इस संगठन ने कहा कि उसके पास देश में कहीं भी डाले गए एक-एक वोट का हिसाब है। ध्यान रहे, इस संगठन में केंद्रीय गृह विभाग और चुनाव प्रक्रिया पर निगरानी रखने वाले विभाग के अफसर और प्रांतों के मुख्य चुनाव अधिकारी सम्मिलित हैं।
धांधली के आरोप-प्रत्यारोप के बीच देश के दो सौ से अधिक मुख्य सुरक्षा अधिकारियों ने हाल में देशवासियों के नाम अपने एक खुले पत्र में सावधान किया कि सत्ता हस्तांतरण में देरी से देश की सुरक्षा को कहां और क्या खतरा पैदा हो सकता है। इस पत्र में डोनाल्ड ट्रम्प को किसी भी तरह के ‘एडवेंचर’ से बचने के लिए चेताया भी गया है। प्रेक्षकों का कहना है कि अमेरिका के इतिहास में ऐसा पत्र लिखने की जरूरत कभी नहीं पड़ी थी। यह पत्र संघीय सरकार की वेबसाइट पर उपलब्ध है, हालांकि ट्रम्प इस पत्र के बारे में जान कर काफी नाराज हुए थे। मगर यह पत्र अमेरिका की लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती की मिसाल है। (आभार- समय की चर्चा )
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