संजय चतुर्वेदी

कोरोना के चलते देश भर में हुए लॉकडाउन और महामारी के कारण देश में अर्थव्यवस्था पूरी तरह लड़खड़ा गई है, इसमें कोई शक नहीं हैl पहली तिमाही के बेहद निराशाजनक नतीजों के बाद दूसरी तिमाही में भी नतीजे बहुत उत्साहवर्धक नहीं रहे हैं। फिर भी उद्योग जगत और कई विशषज्ञों ने दूसरी तिमाही के नतीजों को सकारात्मक बताया है क्योंकि अनुमान इनसे कहीं खराब नतीजों के लगाए जा रहे थे।

इन विशेषज्ञों ने आने वाले महीनों में पुनरुद्धार की गति में तेजी आने का भरोसा जताया। इस विषय में अपने एक बयान में वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि जीडीपी का दूसरी तिमाही का आंकड़ा अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत देता है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘सरकार ने प्रोत्साहन देने और सुधारों को लेकर जो कदम उठाये हैं, उसका परिणाम दिख रहा है। उम्मीद है, वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही में वृद्धि दर सकारात्मक होगी और 2021-22 में दहाई अंक में होगी।

इसी प्रकार उद्योग मंडल सीआईआई  के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले दूसरी तिमाही में संकुचन केवल 7.5 प्रतिशत रहा है। स्पष्ट रूप से अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है।’ उन्होंने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को खोलने को लेकर जो कदम उठाये हैं, उसका वृद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। बनर्जी ने कहा, ‘हमें भरोसा है कि यह प्रवृत्ति आगे भी बनी रहेगी और वह तीसरी तिमाही में प्रतिबिंबित होगा। निजी खपत दूसरी तिमाही में कमजोर होने के बावजूद जो संकेत हैं, वे अगली तिमाही में मजबूत खपत की ओर इशारा कर रहे हैं।’

फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने दूसरी तिमाही के आंकड़ों को सुखद आश्चर्य कहा है। उन्होंने कहा, ‘ज्यादातर विश्लेषक जो अनुमान लगा रहे थे, उससे ये कहीं बेहतर हैं। यह संकेत देता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से पुनरुद्धार के रास्ते पर है। विनिर्माण क्षेत्र में मामूली बढ़त है, लेकिन सकारात्मक वृद्धि निश्चित रूप से उत्साहजनक है।’

पिछले शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में तेजी के चलते जीडीपी में दूसरी तिमाही में केवल 7.5 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि इससे बड़े संकुचन का अनुमान लगाया जा रहा था। कोरोना वायरस फैलने से रोकने के लिए लागू सख्त सार्वजनिक पाबंदियों के बीच चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आयी थी। जुलाई-सितंबर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि पहली तिमाही में इसमें 39 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।

उद्योग मंडल पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने मार्च 2020 से कई सुधारों को आगे बढ़ाया है। इससे अर्थव्यवस्था को तेजी से पटरी पर आने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि सरकार ने आत्मनिर्भर भारत 3.0 के तहत मांग बढ़ाने के लिये जो कदम उठाये हैं, उनका आने वाले समय में आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन और निजी निवेश पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

एक रिपोर्ट के अनुसार अब खाद्य एवं किराना सामान समेत खाने पीने के सामान की डिलीवरी सेवाएँ देने वाले सेक्टर में नौकरियों में भी तेज सुधार देखने को मिल रहा है। एक सर्वे में कहा गया है कि खाद्य एवं किराना डिलिवरी खंड में ‘ब्लू कॉलर’ नौकरियों की मांग कोविड-19 से पहले के स्तर के 100 प्रतिशत पर वापस आ चुकी है। डिलिवरी खंड अब हर महीने ढाई से तीन लाख नौकरियां उत्पन्न कर रहा है। कंपनी ने अपने ऐप से जमा किये आंकड़ों के आधार पर कहा कि डिलिवरी खंड के अलावा विनिर्माण, सहायक गतिविधियों और बीपीओ क्षेत्र में भी नौकरियों की स्थिति सुधर रही है। इसी क्षेत्र की एक कम्पनी ‘वाहन’ के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी माधव कृष्ण ने इस बारे में कहा, ‘लॉकडाउन के दौरान ब्लू कॉलर नौकरियों की मांग में जो गिरावट आयी थी, अब डिलिवरी खंड की अगुवाई में उसमें तेज सुधार दिख रहा है।’ इसका प्रभाव यह होगा कि रेस्टोरेंट और होटल भी जल्द ही गति पकड़ लेंगेl (आभार – समय की चर्चा )