सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोगों के घरों के आगे क्वारैंटाइन का पोस्टर नहीं लगाना चाहिए। उसके मुताबिक ऐसा करना जरूरी हो तो इसके लिए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत सक्षम अधिकारी का आदेश होना चाहिए।
पिछले हफ्ते इस मामले की सुनवाई पर अदालत ने कहा था कि कोरोना मरीजों के घरों पर पोस्टर लगने के बाद उनसे अछूतों जैसा बर्ताव किया जाता है। तब केंद्र सरकार ने अदालत से कहा था कि यह कोई ज़रूरी नियम नहीं है। इसका मकसद कोरोना मरीजों को कलंकित करना भी नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था दूसरों की सुरक्षा के लिए है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कोरोना को रोकने की गरज से कुछ राज्य यह तरीका अपना रहे हैं।
इस पर जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि जमीनी हकीकत कुछ अलग है। उसने कहा कि कोरोना मरीजों के घरों के बाहर पोस्टर लगाने से रोकने के लिए गाइडलाइंस जारी करने पर विचार किया जाना चाहिए। इस मामले में एक याचिका में यह अपील की गई थी।
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