अमेरिका सहित कई देशों में टीकाकरण के दौरान सामने आए दुष्प्रभावों को देखते हुए सरकार ने राज्यों को हर ब्लॉक में कम से कम एक दुष्प्रभाव प्रबंधन केंद्र बनाने को कहा है। ये केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी हो सकते हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के मुताबिक राज्यों में वैक्सीन को लेकर स्वास्थ्य कर्मचारियों का प्रशिक्षण शुरू हो चुका है। टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव के मामले भी सामने आ सकते हैं, जिसके लिए राज्यों को तैयारी रखनी चाहिए। ये दुष्प्रभाव मध्यम भी हो सकते हैं और गंभीर भी। अगर किसी के साथ ऐसा होता है तो उसे नजदीकी केंद्र में कहां और कैसे भर्ती किया जाए, यह जिम्मेदारी राज्यों की दी गई है।
इस बीच तीसरे स्वदेशी टीके को अंतिम परीक्षण की अनुमति मिल चुकी है। भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला के बाद अब जेनेवा फार्मास्यूटिकल कंपनी का टीका भी परीक्षण की स्थिति में पहुंच चुका है। इसे बहुत कम तापमान की जरूरत नहीं होगी बल्कि इसे सामान्य फ्रिज के तापमान में रखा जा सकेगा।
इससे पहले केंद्र सरकार ने टीकाकरण अभियान को लेकर दिशानिर्देश जारी किए। इस काम के लिए देश भर में टीकाकरण बूथ बनेंगे जहां रोजाना अधिकतम 200 लोगों को टीके लगाए जा सकेंगे। टीका लगवाने के लिए लोगों को कोविन ऐप पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। किसी फोटो आईडी से सत्यापन के बाद ही इन केंद्रों पर टीके लगाए जाएंगे। ये वोटर आईडी, आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और पेंशन के दस्तावेज भी हो सकते हैं। वैक्सीन लगाने के बाद हर व्यक्ति पर तीस मिनट तक नजर रखी जाएगी।
जिन लोगों ने वैक्सीन के लिए पहले से ही रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है, उन्हें टीकाकरण केंद्र पर प्राथमिकता दी जाएगी। टीकाकरण केंद्र पर कोई रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। सरकार ने कहा है कि पहले चरण में देश में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक दी जाएगी।
हर टीकाकरण केंद्र पर एक सुरक्षाकर्मी समेत पांच कर्मचारियों की तैनाती होगी। वहां प्रतीक्षालय, टीकाकरण और निगरानी के लिए तीन कमरों की व्यवस्था होगी। टीकाकरण कक्ष में एक समय में केवल एक ही व्यक्ति प्रवेश करेगा। प्रतीक्षा और निगरानी कक्ष में कई लोगों के बैठने का इंतजाम होगा।
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