सुशील कुमार सिंह

न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

पूरी दुनिया का लोकतांत्रिक पक्ष जिस देश को उम्मीद और उदाहरण की तरह देखता रहा है, उसी अमेरिका की संसद में डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों की भीड़ ने घुस कर हिंसा की। ये लोग हाल के राष्ट्रपति चुनाव में धांधली होने का आरोप लगाते हुए ट्रम्प को विजयी घोषित करने की मांग कर रहे थे। पुलिस के साथ इन लोगों की खूनी झड़प में चार लोग मारे गए हैं जबकि करीब 60 लोगों को गिरासत में लिया गया है।

पिछले नवंबर में हुए चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडन विजयी हुए हैं। मगर मौजूदा रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हार को स्वीकार नहीं रहे। पिछले दो महीने से वे दावा करते घूम रहे हैं कि वास्तव में जीते तो वे हैं, लेकिन मतदान और मतगणना में धांधली करके जिता दिया गया है जो बाइडन को। ट्रम्प के रवैये से हिंसा भड़कने की आशंका पहले से जताई जा रही थी। वैसा ही हुआ।

डोनाल्ड ट्रम्प ने इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती के लिए संसद का साझा सत्र शुरू होने से ठीक पहले वाशिंगटन में जुटे अपने हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि वे चुनाव में हार स्वीकार नहीं करेंगे। उनके मुताबिक इस चुनाव में जो बाइडन को जिताने के लिए धांधली की गई है। उन्होंने कहा कि अगर धांधली हुई हो तो आपको अपनी हार स्वीकार नहीं करनी चाहिए। एक घंटे से भी लंबे अपने भाषण में ट्रम्प ने फिर दावा किया कि उन्होंने इस चुनाव में शानदार जीत हासिल की है।

इसके बाद कैपिटल हिल स्थित अमेरिकी संसद यानी कांग्रेस के दोनों सदनों के साझा सत्र में जब इलेक्टोरल वोटों की गिनती शुरू हुई तो ट्रंप के हजारों समर्थक तमाम सुरक्षा व्यवस्था को तोड़ भीतर घुस आए। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की जो हिंसक झड़प में बदल गई। इसमें चार लोगों के मरने के अलावा कई के घायल होने की खबर है जिनमें कई अधिकारी भी शामिल हैं। बताया गया कि जो लोग गिरफ्तार किए गए हैं उनमें कई के पास हथियार मिले।

भीड़ के घुसते ही संसदीय परिसर को ही नहीं बल्कि पूरे कैपिटल हिल को बंद कर दिया गया। उपराष्ट्रपति माइक पेंस और अनेक सांसदों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया। राजधानी में कर्फ्यू लगा दिया गया, लेकिन प्रदर्शनकारी कर्फ्यू तोड़ कर सड़कों पर घूमते रहे। वाशिंगटन मेट्रोपॉलिटन पुलिस के प्रमुख रॉबर्ट कॉन्टे के मुताबिक गिरफ्तार किए गए लोग करीब के उपनगरों और प्रांतों से यहां पहुंचे थे। अमेरिकी सेना की स्पेशल यूनिट ने दंगाइयों को खदेड़ा। कई घंटे बाद संसद के साझा सत्र की कार्यवाही फिर शुरू हुई और लगभग रात भर काम करके संसद ने जो बाइडन की विजय की पुष्टि कर दी।

हिंसा की इस घटना से अमेरिका के लोग भौंचक थे। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस मामले को राजद्रोह करार दिया। उन्होंने कहा कि भीड़ वापस जाए और लोकतंत्र को अपना काम करने दे। उन्होंवे ट्रम्प से अपील की कि वे तत्काल टेलिविजन पर आकर संविधान की रक्षा की अपनी शपथ पूरी करें और इस घेराबंदी को समाप्त करने की मांग करें। खुद अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने इसे अमेरिकी इतिहास का काला दिन बताया। ध्यान रहे कि पिछले कुछ समय से ट्रम्प और पेंस के बीच रिश्ते ठीक नहीं चल रहे।

बहरहाल, दुनिया भर में इस घटना की निंदा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि वाशिंगटन डीसी में हिंसा और दंगे की खबरों से चिंतित हूं। उन्होंने कहा कि सत्ता का सुव्यवस्थित और शांतिपूर्ण हस्तांतरण जारी रहना चाहिए। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गैरकानूनी प्रदर्शनों के जरिए बदलने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने कहा कि ऐसी स्थिति में राजनीतिक नेताओं को अपने समर्थकों को हिंसा से दूर रहने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया व कानून के शासन पर भरोसा करने के लिए राजी करना चाहिए। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि ‘अमेरिका विश्व भर में लोकतंत्र के लिए खड़ा रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि वहां सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण और निर्धारित प्रक्रिया के तहत उचित तरीके से हो।’ चीन जैसे कई देश ऐसे भी हैं जो मौजूदा हालात के कारण अमेरिका का मखौल उड़ा रहे हैं।

इतना ही नहीं, राष्ट्रपति चुनाव में कथित धांधली के बारे में लगातार पोस्ट करने के कारण ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट पर बारह घंटे की रोक लगा दी और चेतावनी दी कि अगर वे नहीं माने तो उनका अकाउंट स्थायी तौर पर रोका जा सकता है। ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब ने ट्रंप का वह वीडियो भी हटा दिया जिसमें वे अपने समर्थकों से वापस जाने की अपील कर रहे थे और साथ ही राष्ट्रपति चुनाव में धांधली का दावा भी कर रहे थे। यह इस घटना से ठीक पहले का उनका भाषण था। कैपिटल हिल में प्रदर्शनकारियों के घुसने के करीब दो घंटे बाद ट्रंप ने यह वीडियो पोस्ट किया था।