न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

हल्दीराम स्नैक्स की डेयरी प्रॉडक्ट कंपनी क्वॉलिटी लिमिटेड को खरीदने की पेशकश उसके कर्जदारों की कमेटी ने ठुकरा दी है। कर्ज में दबी क्वालिटी को खरीदने का प्रस्ताव केवल हल्दीराम ने दिया था। उसका प्रस्ताव खारिज होने के बाद एनसीएलटी यानी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की दिल्ली बेंच ने क्वालिटी लिमिटेड को बंद करने और उसकी संपत्तियों को बेच देने का आदेश दिया।

क्वॉलिटी लिमिटेड की शुरूआत 1992 में हुई थी। इस पर लगभग 1900 करोड़ रुपये कर्ज बकाया है। दिसंबर 2018 में इसे दिवालिया करार देने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसकी अर्जी पंजाब नेशनल बैंक और ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्म केकेआर ने लगाई। कंपनी खरीदने के लिए रिजॉल्यूशन प्लान देने की मियाद कई बार बढ़ी। लेकिन सिर्फ हल्दीराम स्नैक्स और पायनियर सिक्योरिटी ने मिल कर उसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई। हल्दीराम का प्रस्ताव 145 करोड़ तक ही पहुंचा जो कुल कर्ज का आठ फीसदी भी नहीं था। लेनदार अगर उसके प्रस्ताव को मानते तो उन्हें बाकी कर्ज छोड़ना पड़ता।

प्रस्ताव पास होने के लिए जरूरी था कि 66 फीसदी लेनदार उस पर राजी हों, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। लेनदारों की कमेटी की ओर से प्रस्ताव खारिज होने के बाद क्वॉलिटी का मामला देखने वाले रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने कंपनी बंद करने की अर्जी लगा दी। कंपनी को दिवालिया करार देने की प्रक्रिया की 270 दिन की मियाद पहले ही खत्म हो चुकी थी।

क्वॉलिटी लिमिटेड पर बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंक समूह से धोखेबाजी करने का आरोप है। इस मामले में वह सरकारी एजेंसियों के जांच के दायरे में रही है। सीबीआई ने पिछले साल कंपनी के डायरेक्टरों संजय धींगरा, सिद्धांत गुप्ता और अरुण श्रीवास्तव के खिलाफ जालसाजी का केस बनाया था। इस कंपनी की कुल छह फैक्ट्रियां पलवल, बुलंदशहर, सहारनपुर, जरार, सीतापुर और अजमेर में हैं। इसके साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में मिल्क चिलिंग सेंटरों का उसका नेटवर्क है, जहां वह उत्पादकों से दूध खरीदती थी। क्वॉलिटी अपने उत्पाद 28 देशों को निर्यात करती थी। निर्यात बढ़ाने के लिए उसने दुबई में क्वॉलिटी डेयरी प्रॉडक्ट्स नाम से सब्सिडियरी भी बनाई थी।

हल्दीराम स्नैक्स की डेयरी प्रॉडक्ट कंपनी क्वॉलिटी लिमिटेड को खरीदने की पेशकश उसके कर्जदारों की कमेटी ने ठुकरा दी है। कर्ज में दबी क्वालिटी को खरीदने का प्रस्ताव केवल हल्दीराम ने दिया था। उसका प्रस्ताव खारिज होने के बाद एनसीएलटी यानी नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की दिल्ली बेंच ने क्वालिटी लिमिटेड को बंद करने और उसकी संपत्तियों को बेच देने का आदेश दिया।

क्वॉलिटी लिमिटेड की शुरूआत 1992 में हुई थी। इस पर लगभग 1900 करोड़ रुपये कर्ज बकाया है। दिसंबर 2018 में इसे दिवालिया करार देने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसकी अर्जी पंजाब नेशनल बैंक और ग्लोबल प्राइवेट इक्विटी फर्म केकेआर ने लगाई। कंपनी खरीदने के लिए रिजॉल्यूशन प्लान देने की मियाद कई बार बढ़ी। लेकिन सिर्फ हल्दीराम स्नैक्स और पायनियर सिक्योरिटी ने मिल कर उसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई। हल्दीराम का प्रस्ताव 145 करोड़ तक ही पहुंचा जो कुल कर्ज का आठ फीसदी भी नहीं था। लेनदार अगर उसके प्रस्ताव को मानते तो उन्हें बाकी कर्ज छोड़ना पड़ता।

प्रस्ताव पास होने के लिए जरूरी था कि 66 फीसदी लेनदार उस पर राजी हों, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। लेनदारों की कमेटी की ओर से प्रस्ताव खारिज होने के बाद क्वॉलिटी का मामला देखने वाले रिजोल्यूशन प्रोफेशनल ने कंपनी बंद करने की अर्जी लगा दी। कंपनी को दिवालिया करार देने की प्रक्रिया की 270 दिन की मियाद पहले ही खत्म हो चुकी थी।

क्वॉलिटी लिमिटेड पर बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंक समूह से धोखेबाजी करने का आरोप है। इस मामले में वह सरकारी एजेंसियों के जांच के दायरे में रही है। सीबीआई ने पिछले साल कंपनी के डायरेक्टरों संजय धींगरा, सिद्धांत गुप्ता और अरुण श्रीवास्तव के खिलाफ जालसाजी का केस बनाया था। इस कंपनी की कुल छह फैक्ट्रियां पलवल, बुलंदशहर, सहारनपुर, जरार, सीतापुर और अजमेर में हैं। इसके साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में मिल्क चिलिंग सेंटरों का उसका नेटवर्क है, जहां वह उत्पादकों से दूध खरीदती थी। क्वॉलिटी अपने उत्पाद 28 देशों को निर्यात करती थी। निर्यात बढ़ाने के लिए उसने दुबई में क्वॉलिटी डेयरी प्रॉडक्ट्स नाम से सब्सिडियरी भी बनाई थी।