न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

लंबे समय बाद भाजपा अपने मुस्लिम चेहरे शाहनवाज हुसैन को चुनावी राजनीति में वापस ले आई है। पार्टी ने उन्हें बिहार में विधान परिषद की सदस्यता के लिए उम्मीदवार बनाया है। अभी तक वे दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता की जिम्मेदारी देख रहे थे, लेकिन अब वे बिहार की राजनीति में पहुंच गए हैं।

बिहार के भाजपा नेता लंबे समय से मांग करते रहे हैं कि जदयू से बड़ी पार्टी होने के नाते नीतीस कुमार की जगह राज्य में अपना मुख्यमंत्री होना चाहिए। हाहल के विधानसभा चुनाव के बाद इस मांग ने और भी जोर पकड़ा। मगर स्थिति यह थी कि प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण नेता केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं। बिहार में सुशील मोदी के हवाले पार्टी चल रही थी जिन्हें विधानसभा चुनावों के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली बुला लिया। इससे साफ हो गया कि नीतीश कुमार से नजदीकी के चलते पार्टी उन्हें बिहार में नहीं रखना चाहती। उनके बाद भाजपा का कोई कद्दावर नेता बिहार में नहीं बचा। तभी से इंतजार किया जा रहा था कि दिल्ली से किसे बिहार भेजा जाएगा। इस पृष्ठभूमि में शाहनवाज का चयन महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कुछ लोगों का मानना है कि बिहार के सीमांचल क्षेत्र में अपनी स्थिति सुधारने के लिए भाजपा ने मुस्लिम कार्ड खेला है। हाल के विधानसभा चुनाव में एमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने यहां 24 उम्मीदवार खड़े किए थे, जिनमें पांच जीत गए और अन्य सीटों पर भी खासे वोट हासिल किए जिनसे विपक्षी महागठबंधन को नुकसान पहुंचा। सीमांचल के मुस्लिम वोटों की लड़ाई में शायद भाजपा शाहनवाज के जरिये दखल देना चाहती है। मगर इससे भी ज्यादा अहम बात यह है कि सुशील मोदी के राज्यसभा में जाने से खाली हुई विधान परिषद की सीट शाहनवाज को मिल रही है।

जदयू और भाजपा के बीच मौजूदा रिश्तों को देखते हुए कहा जा सकता है कि शाहनवाज को नीतीश पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत बिहार भेजा गया है। लेकिन जब शाहनवाज विधान परिषद सदस्यता के लिए नामांकन दाखिल करने गए तो उनके साथ नीतीश कुमार भी थे और सुशील मोदी भी।

सीमांचल की राजनीति में शाहनवाज की उपयोगिता से इन्कार नहीं किया जा सकता। वे राजनीति में सीमांचल से ही आए थे। वे वहां के जानेमाने नेता तसलीमुद्दीन को हरा कर पहली बार किशनगंज से सांसद बने। फिर भागलपुर से दो बार सांसद रहे। वैसे विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने इस बार एक भी मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था। इससे भी लगता है कि पार्टी ने शाहनवाज हुसैन को सीमांचल के हालात पर पकड़ बनाने के मकसद से बिहार भेजा है। मगर नीतीश से उनकी पटरी कैसे बैठती है, यह देखना ज्यादा दिलचस्प होगा।