संजय चतुर्वेदी

न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

रियल एस्टेट में जीएसटी के मापदंड बिलकुल अलग हैं और इससे यह सेक्टर ठगा सा महसूस करता है। इस सिलसिले में बीएआई यानी बिल्डर एसोसिएशन ऑफ इंडिया झारखंड सेंटर ने वित्तमंत्री से कमर्शियल लीजिंग या किराये के लिए वस्तु एवं सेवा की खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ देने की मांग की है। इससे रियल एस्टेट डेवलपर्स को कोरोना से पैदा हुए कठिन हालात में राहत मिलेगी। एसोसिएशन ने यह मांग फिर उठाई है कि रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा दिया जाए।

बीएआई के अध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में किराये की आय पर जीएसटी चुकाना होता है, जबकि इसके निर्माण के वक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा नहीं दी जाती। उन्होंने यह भी कहा कि आनेवाले बजट में टैक्स छूट की सीमा बढ़ाई जाए ताकि घरों की डिमांड में बढ़ोत्तरी हो।

उनकी एक और मांग है 80सी के तहत होम लोन चुकाने में प्रिंसिपल पर मिलने वाली टैक्स छूट को बढ़ाने के विषय मेंl 80सी के तहत घर खरीदने के लिए ऋण पर चुकाए जाने वाली किश्तों में मूल के भाग को डेढ़ लाख के दायरे में ही रखा जाता हैl यानि जीवन बीमा, ट्यूशन फीस, प्रोविडेंट फण्ड आदि की ही तरह मकान पर लिए गए ऋण की किश्त में मूल को भी डेढ़ लाख के अन्दर ही रखा गया है जबकि अधिकतर मामलों में यह अकेली राशि ही डेढ़ लाख हो जाती हैl बीएआई की मांग है कि इस राशि को अलग से छूट के लिए कोई प्रावधान बनाया जाए तो आम आदमी को इससे सहूलियत भी होगी और प्रधानमंत्री का ‘सबके लिए घर’ का सपना पूरा करने में भी सहायता मिलेगीl

अग्रवाल ने यह भी कहा कि बड़े शहरों में 60 वर्गमीटर और गैर महानगरीय क्षेत्रों में 90 वर्गमीटर में किफायती आवास बनाने की सीमा तय की गई है। यह भी प्रावधान है कि इसकी कीमत 45 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। बीएआई द्वारा दिए गये सुझाव में कहा गया कि अभी बन रहे घरों में जीएसटी दरें भी घटाई जानी चाहिए। फिलहाल इस पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है। वे चाहते हैं कि इसे कुछ महीनों के लिए शून्य प्रतिशत कर देना चाहिए। अभी अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट पर एक फीसदी और नॉन अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट पर 5 फीसदी टैक्स है। मीडियम इनकम ग्रुप के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की क्रेडिट सब्सिडी स्कीम की समय सीमा मार्च 2021 है जिसे मार्च 2022 तक बढ़ाया जा सकता है।

रोहित अग्रवाल ने कहा है कि वर्क्स कांट्रैक्टर्स का एक मुख्य खर्च वाहनों और मशीनरी के रखरखाव के लिए पेट्रोल-डीजल आदि की खरीद से संबंधित है। जीएसटी व्यवस्था के तहत इन उत्पादों को शामिल नहीं करने से इन पर वैट के भुगतान पर इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं होता। जीएसटी के दायरे में पेट्रोल, डीजल एवं अन्य पेट्रोलियम उत्पादों का समावेश किया जाए। साथ ही उन्होंने रियल एस्टेट सेक्टर को उद्योग का दर्जा देने की मांग की। यह मांग पहले भी उठती रही हैl