न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क 

विनीत दीक्षित

स्वास्थ्य बीमा कंपनियां कोरोना के टीके का खर्च वहन करने को राजी नहीं हैँ। इस मामले में बीमा नियामक इरडा का आदेश भी वे नहीं मान रहीं। उलटे इन कंपनियों के संगठन जीआईसी यानी जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने इस आदेश का विरोध किया है।

इरडा ने कहा था कि कोविड-19 के टीकाकरण को स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में कवर किया जाए। पर जीआईसी का कहना है कि इस पॉलिसी में केवल अस्पताल में दाखिल होने का खर्च ही कवर हो सकता है। कोरोना के कारण अस्पताल में भर्ती होने पर भी यह खर्च कवर होगा। जीआईसी बीमा कंपनियों की एक वैधानिक संस्था है।

इरडा ने 13 जनवरी को बीमा कंपनियों से कहा था कि वे कोरोना के इलाज के खर्च के संदर्भ में स्वास्थ्य कंपनियों के साथ अनुबंध करें। अनुबंध के बाद जीआईसी राज्य सरकारों के साथ इसके रेट तय कर सकती है। कोरोना के इलाज को लेकर कई राज्यों ने दरें तय की हैं।

असल में जब कोरोना का जोर था तो अस्पतालों ने दरों के मामले में मनमानी की। फिर अस्पतालों का कहना था कि बीमा कंपनियां उनको पूरे बिल में 25 पर्सेंट की कटौती करके भुगतान कर रही हैं। बीमा कंपनियों का तर्क था कि अस्पताल बिल में सफाई, पीपीई किट में मास्क या दस्ताने को अलग से जोड़ते हैं जो कि हमारे दायरे में नहीं है। इसीलिए अस्पताल बीमा वाले मरीजों को भर्ती करने में आनाकानी करते थे। वह विवाद किसी तरह सुलटा। लेकिन लगता है कि अब नए सिरे से इरडा और बीमा कंपनियों के बीच मामला बिगड़ रहा है।