न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क 

दिग्गज अमेरिकी ईकॉमर्स कंपनी अमेजन ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर फ्यूचर ग्रुप के संस्थापकों की गिरफ्तारी, उनकी संपत्ति जब्त करने और इस ग्रुप के रिलायंस के साथ सौदे को रोकने की मांग की है। जिन लोगों की गिरफ्तारी की मांग की गई है उनमें फ्यूचर ग्रुप के सीईओ किशोर बियानी और उनके परिवार के लोग भी हैं। साथ ही इस मामले में सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत के आदेश को लागू कराने का अनुरोध भी किया गया है।

यह मामला देश में तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स बिजनेस में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए अमेज़न और रिलायंस के बीच प्रतिद्वंद्विता से संबंधित है। याचिका में गुजारिश की गई है कि बियानी परिवार को अपनी संपत्ति घोषित करने को कहा जाए और उसे जब्त किया जाए। किशोर बियानी, उनकी बेटी और परिवार के सात अन्य सदस्यों के साथ ही ग्रुप के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार करने की भी मांग की गई है।

यह याचिका अमेजन की आपत्ति के बावजूद रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के बीच हुए सौदे को सैबी यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की मंजूरी मिलने के बाद दायर की गई। पिछले अगस्त में हुए 24713 करोड़ रुपए के इस सौदे के तहत फ्यूचर ग्रुप का रिटेल, होलसेल और लॉजिस्टिक्स कारोबार रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड को मिल जाएगा। इस सौदे पर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने कोई प्रतिकूल रिपोर्ट नहीं दी जिसके चलते सैबी ने इसे इस शर्त पर मंजूरी दे दी कि इसके लिए शेयर होल्डरों व नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मंजूरी लेनी होगी। इसी तरह यह मंजूरी दिल्ली हाईकोर्ट और सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत के फैसलों पर भी निर्भर करेगी जहां यह मामला लंबित है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की रिपोर्ट में कहा गया था कि उपरोक्त शर्तों के साथ ड्राफ्ट स्कीम को मंजूरी दी जा सकती है।

अमेजन ने दिल्ली हाईकोर्ट और मध्यस्थता अदालत में चल रहे मामलों का हवाला देकर सैबी और अन्य नियामक एजेंसियों से इस सौदे को मंजूरी नहीं देने की अपील की थी। अब अमेजन ने कहा है कि हम अपने अधिकारों के लिए कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे। इससे पहले अमेजन ने सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत का दरवाजा खटखटाया था जहां एक सदस्यीय पीठ ने इस पर फौरी रोक लगा दी थी। लेकिन अभी उसका अंतिम फैसला नहीं आया है जो तीन सदस्यीय पीठ सुनाएगी। इस पीठ में फ्चूचर और अमेजन की ओर से नामित एक-एक सदस्य शामिल होंगे जबकि एक सदस्य तटस्थ होगा।

अमेजन की आपत्ति की वजह यह है कि अगस्त 2019 में उसने फ्यूचर कूपंस में 1500 करोड़ रुपए में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। उस सौदे में यह भी शर्त थी कि अमेजन को तीन से दस साल की अवधि के बाद फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी खरीदने का अधिकार होगा और यह रिलायंस इंडस्ट्रीज को नहीं बेची जाएगी। मगर बाद में फ्यूचर ने अपने खुदरा स्टोर, होलसेल और लॉजिस्टिक्स कारोबार को रिलायंस को बेचने का सौदा कर लिया। अमेजन अपने सौदे की शर्त के आधार पर इस सौदे का विरोध कर रहा है।

इधर दिल्ली हाईकोर्ट फ्यूचर ग्रुप की उस याचिका को खारिज कर चुका है जिसमें अमेजन को इस सौदे में दखल देने से रोकने की मांग की गई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने सैबी पर फ्यूचर ग्रुप की योजना को मंजूरी देने के मामले में कोई रोक भी नहीं लगाई थी। कंपटीशन कमीशन भी रिलायंस और फ्यूचर के सौदे को मंजूरी दे चुका है। इस सौदे से फ्यूचर के देश भर में फैले 1800 से ज्यादा स्टोर रिलायंस रिटेल को मिल जाएंगे। इसमें बिग बाजार, एफबीबी, ईज़ीडे और सेंट्रल फूडहॉल स्टोर शामिल हैं।

कुछ दिन पहले फ्यूचर ग्रुप के सीईओ किशोर बियानी ने कहा था कि कोरोना लॉकडाउन से हमारा कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ और कर्ज भी बढ़ गया। हम तब से अमेजन के संपर्क में थे, लेकिन उन्होंने हमारी मदद नहीं की। बियानी ने दावा किया कि रिलायंस से जब हमारी बातचीत शुरू हुई तो उसकी जानकारी भी अमेजन को दी गई थी।