न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क 

विनीत दीक्षित

तमिलनाडु में होने जा रहे विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने अन्नाद्रमुक के साथ अपने गठबंधन की घोषणा कर दी है। राज्य की राजनीति में लंबे समय से भाजपा के गठबंधन की प्रतीक्षा की जा रही थी और इस मामले में अन्नाद्रमुक को सबसे उपयुक्त माना जचा रहा था।

पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा ने पिछले शनिवार मदुरै में इसका ऐलान किया। मुश्किल से एक हफ्ते पहले ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी दिल्ली आए और उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। जेपी नड्डा ने गठबंधन की घोषणा करते हुए दावा किया कि केंद्र की नरेंद्र मोदू सरकार ने तमिलनाडु के विकास पर भी पूरा ध्यान दिया है। राज्य के लोगों की दिक्कतों को मोदी सरकार दूर करेगी। नड्डा का कहना था कि अगर आप तमिल संस्कृति की सुरक्षा चाहते हैं, तो यह तभी संभव होगा, जब हमारी सरकार यहां मुख्यधारा में आकर काम करे।

वैसे अन्नाद्रमुक के साथ भाजपा का गठबंधन नई बात नहीं है। इन दोनों पार्टियों ने 2019 का लोकसभा चुनाव भी मिल कर लड़ा था। उस समय जो गठबंधन तैयार हुआ था उसमें अन्नाद्रमुक ने 22, पीएमके ने सात, भाजपा ने पांच, डीएमडीके ने चार और तमिस मनीला कांग्रेस (एम) ने एक सीट पर चुनाव लड़ा था। मगर भाजपा इनमें एक भी सीट नहीं जीत सकी थी, जबकि राज्य में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक केवल एक सीट जीत पाई थी।

पिछला विधानसभा चुनाव 2016 में अन्नाद्रमुक ने पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के नेतृत्व में लड़ा था। उस चुनाव में अन्नाद्रमुक को 232 में से 134 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। विपक्षी दल द्रमुक को 89, कांग्रेस को आठ और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को एक मिली थी। मगर इस जीत के बाद लोकसभा चुनाव में नतीजे बिलकुल उलट गए।

2016 के विधानसभा चुनावों की खास बात यह थी कि पिछले अन्नद्रमुक ने राज्य में लंबे समय से चले आ रहे इस सिलसिले को तोड़ दिया था कि हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन हो जाए। मतलब यह कि जयललिता ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। इसका अर्थ यह भी है कि अब तीसरी बार लगातार अन्नाद्रमुक सत्ता में आने की कोशिश करेगा।

दूसरी तरफ कांग्रेस का द्मुक के साथ गठबंधन होना लगभग तय माना जा रहा है। स्वयं कांग्रेस अपने बूते पर आखिरी बार 1967 में तमिलनाडु की सत्ता में थी। तब से कांग्रेस कभी वापसी नहीं कर पाई। अब वह और भाजपा दोनों राष्ट्रीय दल तमिलनाडु में स्थानीय क्षेत्रीय दलों के सहारे हैं। द्रमुक भी पिछले दस साल से सत्ता से बाहर है।

प्रदेश के दो सबसे लोकप्रिय नेता अन्नाद्रमुक की जयललिता और द्रमुक के एम करुणानिधि के जाने के बाद से राज्य की राजनीति नई शक्ल लेने की तैयारी कर रही है। बहुत से लोग मानते हैं कि इस चुनाव में भावनात्मक राजनीति देखने को मिल सकती है।

शायद इसी राजनीति की बुनियाद रखते हुए तमिलनाडु की मौजूदा पलानीस्वामी सरकार ने पिछले हफ्ते जयललिता के घर वेदा निलयम को एक स्मारक में तब्दील कर दिया। मुख्यमंत्री ने खुद जाकर इसका उद्घाटन किया। काफी समय से यह मामला अदालत में लटका हुआ था और जिस दिन इसका उद्घाटन हुआ उससे एक ही दिन पहले मद्रास हाईकोर्ट ने सरकार को इसकी इजाजत दी थी। अदालत ने उद्घाटन के लिए तो मंजूरी दे दी थी, लेकिन उसने स्मारक को जनता के लिए खोले जाने पर रोक लगा दी है।