न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

सरकार पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को कबाड़ में बेचने पर इंसेंटिव देने की तैयारी कर रही है। सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक यह इंसेंटिव प्रस्तावित वॉलेंटरी व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी में शामिल होगा। इससे लोग पुराने वाहनों को स्क्रैप में देने के लिए प्रोत्साहित होंगे।

असल में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में वॉलेंटरी व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी की घोषणा की थी। इसके जरिये पुराने और अनफिट वाहनों को सड़क से हटाया जाएगा। इससे तेल की कम खपत करने वाले और पर्यावरण अनुकूल वाहनों को बढ़ावा मिलेगा। प्रदूषण और तेल आयात बिल को कम करने में मदद भी मिलेगी। यह वॉलेंटरी स्क्रैपिंग व्हीकल पॉलिसी 20 साल से ज्यादा पुराने निजी और 15 साल से ज्यादा पुराने कमर्शियल वाहनों पर लागू होगी।

सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव गिरिधर अरमाने के मुताबिक इस योजना के तहत वाहनों को ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट कराना होगा। यह पूरी प्रक्रिया ऑटोमैटिक होगी। किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए इस प्रक्रिया में मानव हस्तक्षेप नहीं होगा।

अरमाने के मुताबिक इंसेंटिव की व्यवस्था बनाने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य सरकारों ने पुराने वाहनों के मालिकों को हतोत्साहित करने वाले उपायों की घोषणा की है। ग्रीन टैक्स इसी का हिस्सा है। लेकिन इसे अप्रभावी तरीके से लागू किया गया है। जबकि प्रस्तावित व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी से ऑटोमोबाइल सेक्टर में उत्पादन और क्षमता इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी की उम्मीद है। पुराने वाहनों से प्रदूषण, रखरखाव और तेल का खर्च बढ़ता है।

अरमाने का कहना था कि इस पॉलिसी में प्राइवेट सेक्टर के साथ मिल कर स्क्रैपिंग सेंटर बनाना एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार की भूमिका केवल सुविधाएं उपलब्ध कराने में रहेगी। स्क्रैपिंग सेंटर के रेगुलेशन और नियंत्रण में सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी। उन्होंने कहा कि शिपिंग सेक्टर में पहले से ही स्क्रैपिंग सेंटर चल रहे हैं। सरकार ऑटोमोबाइल स्क्रैपिंग को शिपिंग और अन्य सेक्टरों से जोड़ना चाहती है।