न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली सरकार ने सबसे पहले यह घोषणा की है कि उसके तमाम विभागों और संस्थानों में अब केवल इलेक्ट्रिक वाहनों का ही इस्तेमाल होगा। दिल्ली सरकार जिन वाहनों को किराए पर लेती है उनमें अभी पेट्रोल, डीजल और सीएनजी चालित गाड़ियां होती हैं। तय हुआ है कि इन सभी को छह महीने के भीतर इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील कर दिया जाएगा।
दिल्ली सरकार के वित्त विभाग की तरफ से पिछले हफ्ते इस बारे में आदेश जारी किया गया। फिलहाल दिल्ली सरकार के सभी विभाग और संस्थान करीब 2000 वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस बारे में कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली को इलेक्ट्रिक वाहन राजधानी बनाना चाहते हैं। उसी लक्ष्य को पाने का कोशिश की जा रही है।
उपमुख्यमंत्री के मुताबिक भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में दिल्ली पहला ऐसा प्रदेश होगा, जहां सभी सरकारी विभागों को सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के निर्देश दिए गए हैं। इस कदम से प्रदूषण पर काबू पाने में काफी मदद मिलेगी। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों के मद्देनजर यह एक बड़ा कदम है।
सिसोदिया का कहना था कि दिल्ली सरकार के सभी विभागों, स्वायत्त संस्थाओं और अनुदान प्राप्त संस्थाओं के तहत चलने वाले सभी वाहनों के इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील होने से दिल्ली के पर्यावरण को बेहतर करने में काफी मदद मिलेगी। इसके लिए परिवहन विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
मनीष सिसोदिया ने कहा स्विच दिल्ली अभियान के तीसरे सप्ताह में वित्त विभाग की ओर से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों को काफी प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है। ई-वाहनों की खरीद या उन्हें किराये पर लेने के लिए जेम पोर्टल या केंद्र सरकार के ऊर्जा विभाग के पीएसयू ईईएसएल का प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्विच दिल्ली अभियान के तहत दिल्ली सरकार के किसी भी विभाग में वाहनों की खरीद के लिए पहली बार वित्त विभाग की अनुमति अनिवार्य बनाई जा रही है। यह अलग बात है कि मौजूदा अनुबंधों के विस्तार के लिए इस अनुमति की जरूरत नहीं होगी।
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