न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया के लिए अब केवल दो खरीदार बचे हैं। ये हैं टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट। इस मामले में अन्य कंपनियों के आवेदन खारिज हो गए हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के मूल्यांकन के स्तर पर ही अन्य कंपनियों की पेशकश ठुकराई जा चुकी हैं।
बताया जाता है कि एयर इंडिया के ट्रांजेक्शन एडवाइजर इस सौदे की इच्छुक कंपनियों के संपर्क में हैं। वे इन कंपनियों की शंकाओं का जवाब दे रहे हैं। इस मामले में जब सरकार पूरी तरह संतुष्ट हो जाएगी तो उसके बाद ही खरीदार कंपनियों को सूचित किया जाएगा। टाटा संस और स्पाइसजेट के अलावा टाटा संस और न्यूयॉर्क के इंटरप्स इंक का जॉइंट वेंचर भी एयर इंडिया को खरीदना चाहता है। इंटरप्स इंक अमेरिका और यूरोप के अनिवाली भारतीय निवेशकों का ग्रुप है।
वैसे एअर इंडिया को खरीदने के लिए इसके 209 पूर्व कर्मचारियों के समूह ने और एस्सार ग्रुप, पवन रुइया की कंपनी डनलप और फाल्कन टायर्स ने भी एक्सप्रैशन ऑफ इंटररेस्ट जमा किया था। सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में एयर इंडिया को करीब दस हजार करोड़ रुपए का घाटा होने की आशंका है जिससे कंपनी का मूल्यांकन और घट सकता है। ऐसा होने की हालत में इसे बेचने में सरकार को और दिक्कत हो सकती है।
असल में एयर इंडिया को बेचने की कोशिश काफी लंबे समय से हो रही है, करीब बीस साल पहले से। उस समय इसकी 20 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की बात थी, आज पूरी हिस्सेदारी बेचने की योजना है। अब तक अनेक कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। पर सरकार की शर्तों और इसके भारी-भरकम कर्ज के कारण कोई खरीदार आगे नहीं आ रहा। टाटा समूह अभी भी इसको दिलचस्पी दिखा रहा है। शायद इसलिए कि टाटा समूह ने ही कभी इसकी शुरुआत की थी। मगर उसकी समस्या यह है कि एयर एशिया और विस्तारा में पहले से ही भागीदार है।
सरकार 2017 में एअर इंडिया की 74 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही थी जिसे बढ़ा कर अब 100 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके साथ सरकार एयर इंडिया एक्सप्रेस में भी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है। एयर इंडिया पर 38366 करोड़ रुपए का कर्ज है जबकि सरकार के अनेक विभागों से उसे 500 करोड़ रुपए लेने हैं। एयर इंडिया के पास कुल 46 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति है जिसमें जमीन, इमारतें, विमान आदि हैं।
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