न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
विनीत दीक्षित
पंजाब कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में रहे सुनील जाखड़ ने खुद को सक्रिय राजनीति से दूर कर लिया है, मगर वे कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। जाखड़ ने यह फैसला पार्टी की ओर से आगामी विधानसभा चुनावों में अपना मुख्यमंत्री का चेहरा चरणजीत सिंह चन्नी को घोषित करने के बाद लिया।
कुछ ही दिन पहले उन्होंने दावा किया था कि पिछले साल कैप्टन अमरिंदर सिंह के हटने के बाद पार्टी में सबसे ज्यादा 42 विधायक उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में थे। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने यह दावा करते हुए यह संकेत दिया था कि उनके हिंदू होने के कारण उनकी बजाय चन्नी को पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पर जाति और धर्म के आधार पर राजनीति करने का आरोप लगाया। इसी तरह भाजपा ने कांग्रेस की ‘धर्मनिरपेक्षता’ पर सवाल उठाए।
बहरहाल, इस रविवार राहुल गांधी ने लुधियाना में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नाम की घोषणा की। पहले उन्होंने मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ एकांत में बातचीत की। चन्नी का नाम घोषित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री का चेहरा तय नहीं किया। बल्कि पंजाब के लोगों से, अपने उम्मीदवारों, कार्यकर्ताओं और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्यों से पूछा। पंजाब के इन लोगों ने कहा कि हमें गरीब घर का मुख्यमंत्री चाहिए जो भूख और गरीबी को समझे।
माना जा रहा है कि कांग्रेस के पास इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं था। चरणजीत सिंह चन्नी को भावी मुख्यमंत्री की दौड़ से बाहर करने पर पार्टी को भारी नुक्सान हो सकता था। पंजाब में 32 प्रतिशत दलित बताए जाते हैं। पार्टी इतने लोगों की नाराजगी का जोखिम नहीं ले सकती थी। वह भी ऐसे समय में जब वह चन्नी को देश के एकमात्र और पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करती रही है।
चुनाव में किसी तरह के नुकसान से बचने के लिए कांग्रेस पहले तो मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने से बचती रही थी। हालांकि पार्टी में ज्यादातर लोग चन्नी को ही मुख्यमंत्री पद के कांग्रेस के चेहरे के तौर पर मान कर चल रहे थे और पार्टी उन्हें दो सीटों से लड़वा भी रही थी। फिर भी पार्टी को डर था कि चन्नी का नाम घोषित करने पर गुटबज़ी में फंसी प्रदेश इकाई और बिखर जाएगी। उसे सबसे ज्यादा आशंका प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर थी। मगर जब आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान को अपना मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित कर दिया तो कांग्रेस के लिए भी ऐसा करना जरूरी हो गया क्योंकि आम आदमी पार्टी की तरफ से उसे इसके लिए चुनौती दी जा रही थी।
उसके बाद काफी हद तक चन्नी अकेले चुनाव में जूझते लग रहे हैं। सुनील जाखड़ ने खुद को चुनावी राजनीति से अलग कर लिया है और खबर है कि नवजोत सिंह सिद्धू भी पूरे प्रदेश की बजाय अमृतसर में अपनी सीट पर ज्य़ादा ध्यान दे रहे हैं। उनकी पत्नी नवजोत कौर ने जरूर इस मंगलवार कहा कि मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करने से पहले राहुल गांधी को दिग्भ्रमित किया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए नाम घोषित करने से पहले उसकी एजुकेशन, उसके काम, ईमानदारी आदि को देखा जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि नवजोत सिद्धू ही कांग्रेस में इस पद के लिए सही उम्मीदवार थे। बहरहाल, कांग्रेस बस इतना चाहती है कि चुनाव संपन्न होने तक खुद सिद्धू खामोश रहें। बाद में वे कुछ करते भी हैं तो देखा जाएगा।
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