अमिताभ पाराशर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार अगले साल के बजट की तैयारियों में जुटी है। इस सिलसिले में वित्तमंत्री विभिन्न वर्गों से सुझाव लेने में व्यस्त हैं। अनेक वर्गों के संगठन से तरह-तरह की मांगें उठा रहे हैं। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार से बजट में ऐसे उपाय करने को कहा है जिनसे मध्य वर्ग के पास कुछ पैसा आए।

वैसे यह मांग कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के समय से ही उठ रही है कि सरकार को उन लोगों तक पैसा पहुंचाना चाहिए जिन्हें महामारी और लॉकडाउन ने सबसे ज्यादा आर्थिक चोट पहुंचाई है। अब भाजपा ने भी यही मांग रखी है। उसका कहना है कि मध्य वर्ग के लोगों के हाथ में पैसा पहुंचेगा तो उससे मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में मदद मिलेगी।

भाजपा ने सरकार से मांग की है कि छोटी कंपनियों के लिए कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाया जाए। पार्टी का कहना है कि देश की 135 करोड़ की आबादी में से करीब 30 करोड़ लोग मध्य वर्ग में आते हैं। इसी तरह 6.33 करोड़ एमएसएमई इकाइयों में से लगभग 6 करोड़ माइक्रो यूनिट अथवा सूक्ष्म इकाइयां हैं। इनका प्रतिशत 90 से ऊपर बैठता है।

पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल मानते हैं कि मध्य वर्ग के परिवार इन दिनों काफी परेशानियों से जूझ रहे हैं। इस वर्ग को तत्काल मदद की जरूरत है। अग्रवाल के मुताबिक अगर बजट में ऐसे उपाय किए जाएं जिनसे इन परिवारों की खर्च करने की क्षमता बढ़े, तो इसका फायदा उद्योग को भी मिलेगा।

भाजपा की तरफ से बजट पर सरकार को सुझाव देने के लिए कुछ दिन पहले गोपाल कृष्ण अग्रवाल ही वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से मिलने गए थे। बजट में मध्य वर्ग का ख्याल रखा जाना चाहिए, यह बात उन्होंने वित्तमंत्री से भी कही।

अग्रवाल मानते हैं कि आगामी केंद्रीय बजट में छोटी और मझोली इकाइयों के लिए कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाया जा सकता है। इस कच्चे माल में तांबा और दूसरी धातुएं शामिल हैं। वे कहते हैं कि कच्चे माल की कीमत मांग ज्यादा होने की वजह से नहीं बढ़ रही, बल्कि ऐसा सप्लाई की अड़चनों के कारण हो रहा है। उन्होंने वित्तमंत्री को कंपनियों के प्लांट की मशीनरी पर डेप्रिसिएशन अलाउंस बढ़ाने का भी सुझाव दिया है। उनके मुताबिक ऐसा करने से इन कंपनियों पर टैक्स का बोझ कम करने में मदद मिलेगी। (आभार – समय की चर्चा)