न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
सीसीआई यानी कॉम्पटीशन कमीशन ऑफ इंडिया ऑनलाइन फूड डिलीवरी करने वाली कंपनियों स्विग्गी और जोमैटो के ऑपरेशन और बिजनेस मॉडल की जांच करवा रही है। उसने अपने डायरेक्टर जनरल को इस मामले में विस्तृत छानबीन करके रिपोर्ट देने को कहा है। पिछले हफ्ते के इस आदेश के मुताबिक यह रिपोर्ट साठ दिनों के भीतर आयोग को सौंपनी होगी।
यह कार्रवाई कॉम्पटीशन एक्ट की दो धाराओं के उल्लंघन से संबंधित है। खास बात यह है कि यह आदेश ऐसे समय में आया है जब जोमैटो ने दस मिनट कुछ खाद्यों की डिलीवरी शुरू की है।
असल में एनआरएआई यानी नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने पिछले साल जुलाई में स्विगी और जोमैटो पर प्रतियोगी परंपराओं के उल्लंघन का आरोप लगाया था। अपनी शिकायत में उसने कहा था कि ये कंपनियां ऑनलाइन फूड एग्रीगेटर डीप डिस्काउंटिंग, एक्सक्लूसिव टाईअप और रेस्टोरेंट पार्टनर को तरजीह देती हैं जो कि कॉम्पटीशन नियमों के खिलाफ है। इनका यह रवैया रेस्टोरेंट बिजनेस को प्रभावित करता है और बाजार में नए लोगों को प्रवेश को भी रोकता है।
देश भर में पचास हजार से ऊपर रेस्टोरेंट का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले एनआरएआई ने आरोप लगाया था कि कोरोना के दौर में इनका यह रवैया और बढ़ गया था। उसके मुताबिक कई बैठकों के बाद भी रेस्टोरेंट मालिकों की चिंताओं को इन कंपनियों ने दूर करने की कोशिश नहीं की। एनआरएआई ने यह भी कहा कि रेस्टोरेंट से बीस से तीस फीसदी तक कमीशन लिया जाता है, जो काफी ज्यादा है। आरोप है कि ये कंपनियां अपने प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड रेस्टोरेंट से हर ऑर्डर पर लगभग 27.8 फीसदी हिस्सा लेती हैं जबकि क्लाउड किचन के लिए कमीशन की दर 37 फीसदी तक है।
एनआरएआई की शिकायत पर CCI ने शुरूआती छानबीन की और पाया कि कुछ दावों की जांच जरूरी है। उसी के बाद यह नया आदेश आया है। वैसे हाल में जोमैटो के संस्थापक दीपेंदर गोयल ने कहा था कि कंपनी अपने डिलीवरी पार्टनरों पर तेजी से डिलीवरी के लिए कोई दबाव नहीं डाल रही है। असल में दस मिनट में डिलीवरी के अपने नए अभियान पर गोयल ने कहा था कि 10 और 30 मिनट दोनों ही प्रकार की डिलीवरी में देरी होने पर किसी पर कोई जुर्माना नहीं है। इसी तरह समय पर डिलीवरी करने पर कोई इनाम भी नहीं मिलेगा।
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