न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

खेतों में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए खरीफ फसलों की कटाई से पहले चार राज्यों को केंद्र सरकार ने 496 करोड़ रुपये जारी किए हैं। ये चार राज्य हैं पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली। यह राशि पराली को जलाने से रोकने के मकसद से मशीनें खरीदने के लिए दी गई है।

असल में इन्हीं चार राज्यों में पराली जलाने का सर्वाधिक असर पड़ता है। दिल्ली और एनसीआर की हालत तो प्रदूषण के चलते बेहद खराब हो जाती है। जो राशि दी गई है उसमें से पंजाब को 235 करोड़, हरियाणा को 141 करोड़, उत्तर प्रदेश को 115 करोड़ और दिल्ली को पांच करोड़ रुपये दिए गए हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और अन्य केंद्रीय एजेंसियों को भी 54.99 करोड़ रुपये दिए गए हैं। यह राशि फसल अवशेषों के प्रबंधन के मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक केंद्रीय योजना का हिस्सा है।

केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल का इस बारे में कहना था कि पराली की समस्या से निपटने के लिए जल्द ही पंजाब और हरियाणा सरकार के प्रतिनिधियों के साथ केंद्रीय अधिकारियों की बैठक भी होगी। इसकी वजह यह है कि खरीफ की मुख्य फसल धान की कटाई अक्तूबर में शुरू हो जाएगी।

उनके मुताबिक राज्यों से कहा गया है कि ग्राम सभाओं को पराली के बेहतर निपटारे के लिए मशीनें किराये पर देने के केंद्र खोलने की मंजूरी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे छोटे किसानों को फायदा होगा। दिल्ली एनसीआर ही नहीं उत्तर भारत के काफी हिस्से में पराली जलाना लंबे समय से वायु प्रदूषण का बड़ा कारण रहा है। केंद्र पिछले चार साल में इस मामले में 2245 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।

इससे पहले सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अभी दिल्ली की हवा में प्रदूषण बिलकुल नहीं है, लेकिन 10 अक्तूबर के करीब यह खराब होने लगेगी। नवंबर तक यह खराब ही रहेगी जिसका कारण पड़ोसी राज्यों में जलाई जाने वाली पराली है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारें एक दूसरे पर आरोप लगाती हैं, लेकिन दिल्ली सरकार ने इस बारे में एक समाधान निकाला है। उनका कहना था कि पूसा इंस्टीट्यूट ने एक बायो डिकंपोजर बनाया है। इसका दिल्ली के गांवों में परीक्षण किया गया। इसके छिड़काव से धान के डंठल गल जाते हैं और उन्हें जलाना नहीं पड़ता।

केजरीवाल का कहना था कि जैसे दिल्ली सरकार ने इसका मुफ्त छिड़काव किया, उसी तरह पड़ोसी राज्यों को खेतों में बायो डिकंपोजर का छिड़काव करना चाहिए। मुख्यमंत्री के मुताबिक एयर क्वालिटी कमीशन ने कहा कि इस मामले का ऑडिट कराना जरूरी है। इस पर दिल्ली सरकार ने केंद्र की एजेंसी वेबकॉस से इसका ऑडिट करवाया।

अरविंद केजरीवाल ने बताया कि ऑडिट टीम ने दिल्ली के चार जिलों में जाकर किसानों से बात की और उनमें से ज्यादातर बायो डिकंपोजर के प्रयोग से खुश दिखे। केजरीवाल ने यह भी दावा किया कि दिल्ली में इस प्रयोग के कारण गेहूं उत्पादन आठ फीसदी बढ़ गया है। साथ ही, गेहूं की फसल में पहले प्रति एकड़ 46 किलो डीएपी खाद डालना पड़ता था, अब वह घट कर 36 किलो प्रति एकड़ रह गया है।