न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

महेंद्र पाण्डेय

नई दिल्ली। पापुआ न्यू गिनी ने भारत से आने वाली सभी उड़ानों पर अनिश्चितकालीन रोक लगा दी है। हमारे यहां अधिकतर लोगों को इस देश का नाम भी मालूम नहीं होगा, पर प्रशांत महासागर में इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच बसे इस द्वीपीय देश ने भारत के कोविड-19 टेस्ट पर सवाल खड़ा करते हुए यह प्रतिबन्ध लगाया है।

इंडोनेशिया की गरुड़ एयरवेज का एक विमान हाल में ही नई दिल्ली से पापुआ न्यू गिनी की राजधानी पोर्ट मोरेस्बी पहुंचा था, जिसमें सवार चार भारतीय कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।

इसके कुछ दिनों बाद पापुआ न्यू गिनी के पुलिस कमिश्नर और कोविड-19 नेशनल पैन्डेमिक रेस्पोंस कंट्रोलर ने भारत सरकार और वहां भारत के राजदूत पर तीखे आरोप लगाते हुए भारत से आने वाली सभी उड़ानों पर 24 अगस्त से अनिश्चितकालीन रोक लगा दी।

पापुआ न्यू गिनी के पुलिस कमिश्नर डेविड मैनिंग ने आरोप लगाया कि उनका देश भारत को मित्र देश मानता है, पर भारत उनके देश की संप्रभुता और जन-स्वास्थ्य से सीधा खिलवाड़ कर रहा है और विमान यात्रा के लिए किये गए द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन कर रहा है।

मैनिंग ने कहा है कि द्विपक्षीय समझौते के तहत केवल 42 यात्रियों को अनुमति दी गयी थी, पर नई दिल्ली से जो विमान आया उसमें 81 यात्री पहुंचे। उन्होंने याद दिलाया कि इसी मुद्दे पर पिछली चार बार से विमान यात्रा की इजाजत नहीं दी गयी थी। इस दफा भी एक बार तय किया गया था कि विमान को उतरने नहीं दिया जाए, लेकिन फिर यात्रियों की होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इजाजत दे दी गयी।

पुलिस कमिश्नर की सबसे बड़ी शिकायत है, विमान यात्रा के द्विपक्षीय समझौते से सम्बंधित कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन। इसके तहत हर यात्री को विमान यात्रा के दो दिनों के अन्दर कोविड-19 का आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना था, पर कुछ यात्री ऐसे भी थे जिन्हें बिना टेस्ट रिपोर्ट के ही भारत सरकार ने यात्रा की इजाजत दे दी। कोविड-19 का टेस्ट जिन लोगों ने कराया भी और जिनकी निगेटिव रिपोर्ट थी, उनमें से भी चार यात्री कोरोना पोसिटिव पाए गए। मैनिंग ने इसे अपने देश की संप्रभुता का उल्लंघन, भारत सरकार की लापरवाही और जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ बताया और इंडोनेशिया की गरुड़ एयरवेज़ और कापाजेट एयरवेज़ की उड़ानों और भारत से वहां पहुँचने वाली अन्य सभी उड़ानों को रोक दिया।

पापुआ न्यू गिनी का क्षेत्रफल बहुत अधिक, 462840 वर्ग किलोमीटर है, पर आबादी लगभग 80 लाख ही है। दुनिया के द्वीपीय देशों में क्षेत्रफल के मामले में यह तीसरे नंबर पर है। इसका लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा ही शहरी है। मानव-विविधता के सन्दर्भ में यह अनोखा देश है। यहाँ कुल 851 भाषाएँ बोली जाती हैं, जाहिर है इतनी ही जनजातियाँ भी हैं। वर्ष 1975 तक यह ऑस्ट्रेलिया के अधीन था, पर इसके बाद एक स्वतंत्र देश बन गया।

दुनिया के अन्य कई देश भी समय-समय पर हमारे कोरोना संबंधी आंकड़ों पर सवाल उठाते रहे हैं। जिस तरह से मीडिया उन्हें प्रस्तुत करता है उसके बाद तो भरोसा और भी कठिन हो जाता है।

इन दिनों केरल में संक्रमण के मामलों की खूब चर्चा है। मीडिया इसे ऐसे प्रस्तुत कर रहा है, मानो देश में केवल केरल में ही कोरोना पनप रहा हो। पूरे देश में सामने आ रहे मामलों में बड़ी संख्या केरल की होती है। लेकिन देश में यदि कोरोना से 500 व्यक्तियों की मृत्यु होती है तो उसमें केरल का योगदान 100 से भी कम रहता है और बाकी देश में कम मामलों के बावजूद मौतें ज्यादा हो रही हैं। मीडिया यह नहीं बता रहा।

फिर जहां चुनाव होने वाले हों, वहां कई महीने पहले से कोरोना के आंकड़े नगण्य होने लगते हैं, जैसा अभी उत्तर प्रदेश में दिख रहा है।  (आभार – समय की चर्चा )