न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

सुशील कुमार सिंह

अगर किसी एग्रीगेटर कंपनी के नियंत्रण में 50 से अधिक वाहन होंगे तो उसे ऐप के जरिये ऑनलाइन टैक्सी, बाइक या तिपहिया सेवा देने वालों को लाइसेंस लेना होगा। यह बात दिल्ली में एग्रीगेटर स्कीम के मसौदे में कही गई है। परिवहन विभाग ने यह मसौदा सार्वजनिक करते हुए सभी संबंधित पक्षों से इस पर राय मांगी है।

कोई भी पक्ष 18 फरवरी तक इस मामले में अपनी राय या ऐतराज दर्ज करा सकता है। दिल्ली में ओला और उबर के करीब दो लाख ड्राइवर हैं और यह ऐप आधारित एग्रीगेटर कंपनियों के लिए दस सबसे बड़े बाजारों में है। इस लिहाज से यह योजना इन कंपनियों के बेहद अहम है।

मसौदे में कहा गया है कि इन कंपनियों को स्कीम लागू होने के बाद दुपहिया, तिपहिया और कार के जरिए ऐप आधारित सेवाएं देने के लिए लाइसेंस लेना होगा। फिलहाल बसों को इस योजना में नहीं जोड़ा गया। मसौदे के मुताबिक अगर दिशानिर्देश जारी होने के तीन महीने बाद तक किसी कंपनी ने लाइसेंस नहीं लिया तो उसे जुर्माना चुकाना होगा।

यही नहीं, इन कंपनियों को अपने ऐप को भारतीय कानून के मुताबिक ढालना होगा। उन्हें स्थानीय स्तर पर ऑपरेटिंग सेंटर खोलने होंगे। साथ ही, चौबीस घंटे चलने वाले सहायता केंद्र भी चलाने होंगे ताकि उनकी कारों की ट्रैकिंग हो और आपात स्थिति में सवारी और ड्राइवर से संपर्क साध कर उन्हें सहायता दी जा सके।

इसमें कहा गया है कि योजना की अधिसूचना जारी होने के 100 दिन पूरे होने पर भी लाइसेंस नहीं लिया गया तो 500 रुपए प्रति वाहन प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा। मसौदे के मुताबिक दिल्ली में ऐसी हर कंपनी का ऑपरेटिंग सेंटर, कंट्रोल सेंटर या सूचना केंद्र हो जो निरंतर काम करे। इसमें हर वाहन की निगरानी सुनिश्चित की जाए। वाहन के उपयोग के शुरुआती स्थान से लेकर मंजिल तक और रुट का पूरा रिकार्ड और पैनिक बटन का स्टेटस पता रहे। इन कंपनियो के बाकायदा कॉल सेंटर हों जहां से ग्राहकों से हर समय संपर्क किया जा सके।

इस योजना की प्रमुख बात यह है कि इन कंपनियों को जल्दी ही अपने वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करना होगा। इसके लिए उन्हें निर्धारित समय दिया जाएगा। इसमें बताय गया है कि लाइसेंस लेने के छह महीने के भीतर इन कंपनियों को अपने दोपहिया और तिपहिया वाहनों में से 10 फीसदी को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलना होगा। एक साल बाद तक उन्हें 25 फीसदी वाहनों को और दो साल के भीतर 50 प्रतिशत वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना होगा।

कारों के लिए यह शर्त छह महीने में 5 फीसदी, एक साल में 15 फीसदी और दो साल में 25 फीसदी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने की होगी। इस शर्त को पूरा नहीं करने की हालत में कंपनी को प्रति वाहन रोज 1000 रुपए के हिसाब से जुर्माना भरना होगा।