न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
दिल्ली सरकार की ओर से गठित धूल प्रबंधन कमेटी ने शहर में बड़े निर्माण स्थलों पर रियल टाइम डस्ट मॉनिटर लगाने की सिफारिश की है। ऐसे मॉनीटर लंदन और पेरिस में लगे हुए हैं। इनसे धूल उत्सर्जन को रोकने में मदद मिलती है।
इस कमेटी ने सुझाया है कि धूल वाली जगहों पर पर्यावरण नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने से लेकर जब्ती तक की कार्रवाई की जाए। कमेटी का कहना है कि सड़क पर और निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल के कारण दिल्ली के प्रदूषण में 15 से 40 फीसदी पीएम 2.5 तत्वों की भागीदारी रहती है।
निर्मण स्थलों पर रियल टाइम मॉनीटर लगने पर लगातार उनसे मिलने वाले डेटा का विशलेषण होगा जिसकी रिपोर्ट डीपीसीसी यानी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को सौंपी जाएगी। बड़े निर्माण स्थलों की ओर से डीपीसीसी को एक निर्धारित बैंक गारंटी भी देनी होगी। डीपीसीसी उस स्थल का कभी भी बिन बताए निरीक्षण कर सकेगी। मॉनीटर से प्राप्त डाटा का डीपीसीसी विशलेषण करेगी। तंत्र से किसी तरह की छेड़छात्र पर डीपीसीसी जुर्माना लगाएगी।
दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिल्ली सरकार ने विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की थी। इसमें पर्यावरण, दिल्ली संवाद एंव विकास आयोग, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी, आइआइटी दिल्ली, टेरी, डायल, व दिल्ली मेट्रो के विशेषज्ञ शामिल थे। कमेटी को अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के आधार पर शहर में धूल प्रबंधन पर सिफारिशें देनी थीं।
अब कमेटी ने कहा है कि किसी स्थल पर मॉनीटर से चौबीस घंटे में 144 मिनट से अधिक डेटा नहीं मिला तो प्रति मिनट एक हजार रुपये के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा। उसके मुताबिक पीएम 2.5 व पीएम 10 का स्तर नजदीकी मानक केंद्र पर मापी गई मात्रा से 25 फीसदी अधिक होने पर चेतावनी जारी की जाएगी और यदि तीन घंटे के भीतर कार्रवाई नहीं होती तो बैंक गारंटी का 10 फीसदी या एक लाख रुपये का जुर्माना लगेगा। इसके बाद अगर बारह घंटे बाद भी सुधार नहीं होता तो बैंक गारंटी का 20 फीसदी या तीन लाख रुपये जुर्माना लगेगा। इसी तरह अगर चौबीस घंटे तक स्थिति में सुधार नहीं होता तो डीपीसीसी के अधिकारी साइट को सील कर देंगे।
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