न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
अगर कोई बैंक डूब जाता है और उसमें खाते से पैसा निकालने पर रोक लग जाती है, उस हालत में ग्राहकों की पांच लाख रुपए तक की जमा सुरक्षित रहे और वह 90 दिन में उन्हें मिल जाए। सरकार इसके लिए डीआईसीजीसी यानी डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट में बदलाव करने पर विचार कर रही है। बदलाव के जरिये ग्राहकों की रकम की वापसी सुनिश्चित की जा सकती है।
असल में डीआईसीजीसी एक्ट में इस बदलाव से खाताधारकों को बड़ी आसानी होगी। उन्हें एक निर्धारित समय में अपना पांच लाख रुपए तक की जमा वापस मिल जाएगी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि बैंकों में जमा एक लाख रुपए के बजाय पांच लाख रुपए की रकम अब डीआईसीजीसी एक्ट के तहत इंश्योर्ड रहेगी।
यह बात वित्तमंत्री ने पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक में हुए फ्रॉड के बाद कही थी। उसके बाद यस बैंक भी एक वित्तीय संकट में फंसा था और उसके ग्राहकों पर भी पैसे निकालने पर पाबंदियां लग गई थीं। डीआईसीजीसी असल में रिजर्व बैंक की कंपनी है। अगर कानून में संशोधन हो गया तो हर जमाकर्ता के सेविंग्स, करेंट, रेकरिंग और फिक्स्ड डिपॉजिट एकाउंट में जमा पांच लाख रुपए को डीआईसीजीसी सुरक्षित रखेगी। अगर कोई बैंक डिफॉल्ट हो जाता है तो उसके हर जमाकर्ता को पांच लाख रुपए तक की रकम मूल रकम और ब्याज यह कंपनी अदा करेगी।
ध्यान रहे, मई 1993 से पहले बैंकों में जमाकर्ता को अपने खाते में जमा 30,000 रुपए तक की रकम की वापसी की ही गारंटी थी। 1992 में हुए सिक्योरिटी स्कैम के चलते महाराष्ट्र के बैंक ऑफ कराड के दिवालिया हो जाने के बाद इस सुरक्षित जमा की रकम को बढ़ा कर एक लाख रुपए किया गया था। मगर फिर रिजर्व बैंक की कमेटी ऑन कस्टमर सर्विस इन बैंक्स की रिपोर्ट में बैंक डिपॉजिट के सिक्योरिटी कवर को बढ़ा कर पांच लाख तक ले जाने का सुझाव दिया गया था। यह रिपोर्ट 2011 में आई थी।
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