न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

साल के आखिरी महीने में गोवा में देश दुनिया से लोग मजे करने और नये साल का स्वागत करने गोवा आते है लेकिन दो साल से कोरोना के असर से परेशान गोवा को  नये वेरिएंट ओमिक्रान ने दहशत में डाल दिया है.

नये साल के आने के पहले ही यहां से टूरिस्ट वापसी शुरु हो गयी है  और ज्यादातर होटल और क्लब खाली दिख रहे हैं.

हाल ये है कि शुक्रवार औऱ शनिवार की रात को गोवा के जिन मशहूर जगहों क्लब कबाना और थलासा जैसी जगहों पर प्रवेश के लिए मिन्नतें करनी पड़ती थी अब वहां पर खुद क्लब के लोग सड़क पर खड़े होकर टूरिस्ट को बुला रहे हैं. थलासा के जुएल लोबो के अनुसार नये वेरिएंट की खबरों के चलते अचानक भीड़ घट गयी है और अब हम भी लोगों को फ्री एंट्री दे रहे हैं.

असल में कोरोना के कारण गोवा में इस साल विदेशी पर्यटक आ नहीं पाये उम्मीद थी कि दिसंबर में उड़ाने शुरु होंगी तो विदेशी आयेंगे लेकिन नये वेरिएंट के कारण सारी उड़ाने बंद कर दी गयी है साथ ही चार्टर प्लेन की परमीशन भी नहीं मिल रही है इसलिए अब कोई उम्मीद नहीं बची है. गोवा में लोगों का आकर्षण बनने वाला सन बर्न भी इस बार नहीं हो पा रहा है . आप कल्पना नहीं कर पायेंगे लेकिन गोवा में बीच पर बनी दुकानें जो रात भर खुली रहती थीं वो अब दस बजे के बाद ही बंद हो रही है.

करीब चालीस प्रतिशत दुकानें इस बार खुली ही नही. गोवा के एडवोकेट अनिकेत देसाई के अनुसार कोराना ने गोवा की इकानामी को खत्म कर दिया है. दो साल बाद इस बार कुछ उम्मीद थी लेकिन नये वेरिएंट के डर से सब खत्म हो रहा है. गोवा में बेरोजगारी और गरीबी बढ़ रही है. सरकार को माइनिंग शुरु करना चाहिये ताकि लोगों को पैसा मिल सके .  क्या है गोवा का चुनावी माहौल.

ऐसे खराब हालात में भी राजनीतिक पार्टियां फरवरी में चुनाव के लिए दम लगा रही है चुनावी दलबदल औऱ दावे शुरु हो  गये हैं. पोस्टर वार में केजरीवाल और ममता दीदी की टीएमसी सबसे आगे दिख रही है. एयरपोर्ट से लेकर पणजी शहर तक हर जगह दोनों ने सैकड़ों पोस्टर बैनर लगा दिये हैं . लेकिन असली लड़ाई तो बीजेपी और कांग्रेस में ही है.

पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर की गैर मौजूदगी में हो रहे पहले चुनाव में बीजेपी को चेहरे की तलाश है तो कांग्रेस अपने पुराने चेहरे दिगंबर कामत पर दांव लगा रही है .लोग  कोरोना में सरकार के काम नहीं आने से परेशान है लेकिन कांग्रेस इसे भुना नहीं पा रही है. पार्टी ने पी चिदंबरम को यहां काम पर लगाया है लेकिन कांग्रेस को डर है कि आप और टीएमसी असल में उन सरकार विरोधी वोटों को काट देगी जो कांग्रेस को मिल सकते हैं.

चुनावी मुददे जमीन से अलग .. गोवा में लोग बेरोजगारी ,मंदी और विकास नहीं होने से परेशान है लेकिन मुददा यहां पर करप्शन और दस साल पहले शाह कमीशन की रिपोर्ट में बताये गये 35 हजार करोड़ के माइनिंग स्कैम को बनाया जा रहा है .

टीएमसी ने गोवा के एक एनजीओ गोवा फाउंडेशन के समझाने पर 35 हजार करोंड़ के जुमले को उछाल दिया है .लोगों को कहा जा रहा है कि अगर ये पैसे सरकार ने वसूल लिये तो गोवा के  हर घऱ को तीन लाख रुपये मिलेंगे. लेकिन हम आपको असलियत बताते हैं कि ये भी हर खाते में पंद्रह लाख रुपये के जुमले की तरह ही है.

गोवा में 2012 में बीजेपी ने जस्टिस एम बी शाह की रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस को घेरा था . बीजेपी ने शाह कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 35 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया था लेकिन जब खुद बीजेपी के मनोहर पर्रीकर सत्ता मे आ गये तो फंस गये. फिर पर्रीकर ने ही कह दिया कि 35 हजार करोड़ नहीं करीब 3 हजार करोड़ का नुकसान हुआ.

पर्रीकर ने इसकी जांच के लिए चार्टर्ड एकाउंटेट की एक कमेटी भी बना दी जिसने बताया कि असल में तो ये आंकड़ा 300 करोड़ भी नहीं है वो भी रेवेन्यू का नुकसान है. इसकी गिनती भी अब तक ठीक से दस साल में नहीं हो पायी . लेकिन चुनाव में एक बार फिर से जनता को भरमाने की कोशिश हो रही है.

टीएमसी ने इस मुददे को उछाल दिया है लेकिन बीजेपी या कांग्रेस इसे काउंटर नहीं कर पा रही है. कांग्रेस ने गोवा में लोकायुक्त बनाने का नारा दिया है बीजेपी विकास की बात कर रही है . जमीन पर हालत ये है कि गोवा में बेरोजगारी की दर 11 प्रतिशत तक हो रही है और कोरोना से बेहाल लोगों के पास पैसे नहीं है . जाहिर है राजनीतिक दल अभी तक जमीन नहीं पकड़ पा रहे है.

उधर फिर से लाकडाउन की बातें शुरु हो गयी है. गोवा में टैक्सी चलाने वाले अशरफ का कहना है कि इस बार अगर फिर से लाकडाउन हो गया तो हम बरबाद हो जायेंगे .