न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
एनएन कौल
सरकार ने एलआईसी यानी जीवन बीमा निगम में एफडीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी दे दी है। पिछले शनिवार केंद्रीय कैबिनेट ने इस बारे में प्रस्ताव पास किया जिसमें कहा गया है कि अब ऑटोमैटिक रूट से एलआईसी में 20 प्रतिशत तक एफडीआई की इजाजत होगी। इसका मतलब हुआ कि विदेशी फंड अब देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के आईपीओ में पैसा लगा सकेंगे। यह आईपीओ जल्दी ही आने वाला है।
यह अपने आप में प्रत्य़क्ष विदेशी निवेश की नीति में खासा बड़ा बदलाव है। अभी तक एफडीआई की जो नीति रही है उसमें बीमा सेक्टर में ऑटोमैटिक रूस से 74 फीसदी विदेशी निवेश की इजाजत है, लेकिन यह एलआईसी पर लागू नहीं होती। इसकी वजह यह है कि एलआईसी के लिए सरकार का अलग कानून है। मगर अब सरकार ने इस कानून में बदलाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
सेबी के नियमों के अनुसार आईपीओ के तहत एफपीआई यानी फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट और एफडीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेशी की इजाजत है। मगर एलआईसी कानून में विदेशी निवेश के लिए कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए इसके आईपीओमें में विदेशी फंड पैसा नहीं लगा सकते थे। सरकार के ताजा फैसले से उनके लिए इसमें पैसा लगाने की राह खुल गई है।
ध्यान रहे कि देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एफडीआई की सीमा 20 प्रतिशत है। यही देख कर एलआईसी के लिए भी इसकी यही सीमा रखी गई है। सरकार को एलआईसी के आईपीओ की चिंता इसलिए है कि उसमें कुछ हिस्सेदारी बेचना उसकी विनिवेश की महत्वाकांक्षी य़ोजना का हिस्सा है। सरकारी सूत्र यह भी मानते हैं कि एलआईसी के आईपीओ में विदेशी निवेशक पर्याप्त दिलचस्पी दिखा सकते हैं।
सरकार की ओर से हर सेक्टर के लिए अधिकतम विदेशी निवेश की सीमा तय की है। अब एलआईसी जो कि देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है अपना आईपीओ लाने जा रही है। कहा जा रहा है कि यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा। माना जा रहा है कि इसका इश्यू 10 मार्च को खुल सकता है। इस बारे में एलआईसी मर्चेंट बैंकरों और अन्य संबंधित पक्षों से बात कर रही है। यह भी कहा जा रहा है कि एलआईसी अपने आईपीओ से 80 हजार से एक लाख करोड़ रुपए तक जुटाने की सोच रही है।
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