न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

हो सकता है कि आने वाले दिनों में लोगों को अपनी रोजमर्रा की जरूरत वाली चीजों जैसे साबुन, खाद्य तेल आदि खरीदने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़े। कच्चे माल की कीमत में बढ़ोत्तरी को देखते हुए एफएमसीजी कंपनियों ने इन उत्पादों की कीमतें बढ़ाने का फैसला किया है। जो चीजें महंगी हो सकती हैं उनमें खाद्य तेलों के अलावा साबुन, पैकेटबंद चावल और चाय को प्रमुख माना जा रहा है।

वैसे खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोत्तरी करीब दो महीने पहले से चल रही है। अब वह कुछ और महंगा हो सकता है। मैरिको जैसी कुछ एफएमसीजी कंपनियां अपने उत्पाद की कीमत बढ़ा भी चुकी हैं जबकि डाबर, पारले और पतंजलि हालात का जायजा ले रही हैं। उनका कहना है कि वह कच्चे मल की कीमतें बढ़ने का असर अपने उत्पाद पर पड़ने का आंकलन कर रहे हैं। मगर जानकारों का कहना है कि ये कंपनियां लंबे समय तक कीमत में बढ़ोत्तरी का फैसला टाल नहीं सकतीं।

एक कंपनी के प्रवक्ता का कहना था कि पिछले तीन से चार महीनों में कच्चे माल की लागत विशेष रूप से खाद्य तेलों के मामले में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे हमारी लागत पर दबाव बढ़ रहा है। यह स्थिति रुकती नहीं है तो हमें भी उपने उत्पाद की कीमत में बढ़ोत्तरी करन ही पड़ेगी।

इसी तरह हाल के महीनों में प्रमुख कच्चे माल जैसे आंवला आदि की कीमत में वृद्धि देखी गई है। लगता है कि यह वृद्धि आगे भी जारी रह सकती है। कई कंपनियां कोशिश कर रही हैं कि अपने उत्पादों की कीमतों पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने दें। लेकिन हालात उनके वश में नहीं है और उन्हें सीमित तौर पर ही सही, कीमतें बढ़ाने का फैसला लेना पड़ सकता है।

सफोला ब्रांड का खाद्य तेल बेचने वाली कंपनी मैरिको ने अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ा दी हैं। इस कंपनी के प्रतिनिधियों का कहना है कि कच्चे माल के दाम में बढ़ोत्तरी की वजह से खाद्य तेल के दामों में वृद्धि को रोकना बेहद मुश्किल था।

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि हिल के दिनों में कुछ उत्पादों के दाम तीन से पांच फीसदी तक बढ़े हैं। कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के कारण एलईडी टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन और कुछ अन्य होम अप्लायंसेस की कीमतें 10 फीसदी तक बढ़ सकती हैं। कंज्यूमर ड्यूरेबल बनाने वाली कंपनियों ने इसकी घोषणा पिछले साल यानी दिसंबर में ही कर दी थी।

कोरोना और लॉकडाउन के चलते विदेश से कच्चे माल की सप्लाई कम हुई है। इससे टीवी पैनलों की कीमतें लगभग दोगुनी तक बढ़ गई हैं। फिर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से प्लास्टिक की कीमतों पर भी असर पड़ा है। इसके कारण नए साल के आगमन के साथ ही कई इलेक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियों ने अपने उत्पादों की कीमत बढ़ाने का फैसला किया है। इनमें बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी शामिल हैं।