न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
सुशील कुमार सिंह
अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार की घोषणा के बाद भी स्थियां अभी स्पष्ट नहीं हैं।
वहां की पुरानी सरकार के विदेश मंत्रालय ने एक पत्र जारी कर तालिबान सरकार को अवैध बताया है और कहा है कि दुनिया भर में उसके मिशन पहले की तरह काम करते रहेंगे। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि गुलाम इसाक्जाई ने भी तालिबान की सरकार को मानने से मना कर दिया है। उन्होंने सभी देशों से अपील भी की कि इस सरकार को मान्यता न दें।
तालिबान विरोधी पंजशीर के नॉर्दर्न अलायंस ने न केवल इस सरकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया बल्कि दावा किया है कि हम देश में समानांतर सरकार बनाएंगे। अफगानिस्तान के ताजा हालात पर अमेरिका ने भी चिंता जताई है।
तुर्की ने कहा है कि हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं जबकि कतर ने सभी देशों से कहा है कि तालिबान के पुराने रिकॉर्ड को भुला कर उसके ताजा रवैये के आधार पर अपना रुख तय करें। लेकिन चीन ने तालिबान की सरकार का स्वागत किया है और कहा है कि अफगानिस्तान में हफ्तों से चल रही अराजकता की स्थिति खत्म हुई।
तालिबान सरकार की घोषणा के कुछ घंटे बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि तालिबान के साथ वास्तविक समस्या तो चीन की है, इसलिए चीन तालिबान के साथ कुछ समझौता करने की कोशिश करेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान, रूस और ईरान ने भी यही किया है और ये देश अब इस तैयारी में जुटे हैं कि आगे क्या करना है। यह बात बाइडेन पहले ही कह चुके हैं कि तालिबान को मान्यता देना फिलहाल दूर की बात है।
उधर संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रह चुकीं निक्की हेली ने एक ऑनलाइन याचिका शुरू की है जिसमें अमेरिका से अपील की गई है कि वह तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दे।
इससे पहले, काबुल में तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके नई सरकार की घोषणा की जिसमें मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को प्रधानमंत्री बनाया गया है। उनके साथ दो उपप्रधानमंत्री होंगे। तालिबान प्रमुख शेख हिब्तुल्लाह अखुंदजादा सुप्रीम लीडर होंगे जिन्हें अमीर उल अफगानिस्तान कहा जाएगा। नई सरकार में तेतीस मंत्री हैं जिनमें एक भी महिला नहीं है।
दोहा में भारत से बातचीत करने वाले शेर मोहम्मद स्टेनेकजई उप विदेश मंत्री बनाए गए हैं। सरकार का नाम इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान होगा। प्रवक्ता का कहना था कि यह कार्यवाहत अथवा अंतरिम सरकार है और स्थायी समावेशी सरकार को लेकर अभी बातचीत चल रही है।
नई सरकार में सिराजुद्दीन हक्कानी को गृहमंत्री बनाया गया है जो आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख है और अमेरिका की आतंकवादियों की सूची में मोस्ट वॉन्टेड है। अमेरिका ने उस पर करीब 37 करोड़ रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है।
रक्षा मंत्रालय में चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कारी फसीहुद्दीन को बनाया गया है। उनके नेतृत्व में ही तालिबान ने पंजशीर की लड़ाई लड़ी। वे ताजिक मूल के प्रमुख तालिबान कमांडर हैं। सरकार के गठन की बातचीत करने वाले पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई को भी किनारे कर दिया गया है।
तालिबान सरकार की घोषणा के बाद तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने नई सरकार से शरिया कानून को कायम रखने को कहा है। उन्होंने सभी अफगान नागरिकों को विदेशी हुकूमत से आजादी मिलने की बधाई दी और कहा कि तालिबान उन सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों को मानेगा जो शरिया के खिलाफ नहीं हैं।
लेकिन सत्ता संभालने के बाद भी तालिबान का रवैया बदलता नहीं दिख रहा।
बुधवार को गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी का आदेश आया कि देश में अब बिना इजाजत कोई प्रदर्शन नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए चौबीस घंटे पहले कानून और गृह मंत्रालय की मंजूरी लेनी होगी। नहीं तो प्रदर्शन करने वाला व्यक्ति अपने नुक्सान का खुद जिम्मेदार होगा।
आदेश के मुताबिक प्रदर्शनों के लिए आवेदन में समय और स्थान तो बताना ही होगा, यह भी बताना होगा कि नारे क्या लगाए जाएंगे। इससे पहले काबुल के एक अखबार एतिलाट्रोज़ के पांच पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया। इसे देख संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि अफगान पत्रकारों को तुरंत सुरक्षा दी जाए।
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