न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

सोने के जेवरों की हॉलमार्किंग के नियम फिलहाल पूरे देश में लागू नहीं होंगे। पिछले हफ्ते वाणिज्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल के साथ ज्वेलरों की बैठक में तय हुआ कि हॉलमार्किंग को चरणों में लागू किया जाए। इस तरह, फिलहाल 16 जून से देश के 256 जिलों में हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया गया।

यह इसे लागू करने का पहला चरण है। इस चरण में वही जिले शामिल किए गए हैं जहां हॉलमार्किंग सेंटर पहले से मौजूद हैं। इसके अलावा जिन ज्वैलरों का कारोबार 40 लाख रुपए तक है उन्हें हॉलमार्किंग के नियम से छूट रहेगी। देश में अभी भी ऐसे ज्वैलरों की संख्या काफी है, जिन्होंने बीआईएस का सर्टिफिकेशन नहीं लिया है। सरकार इतने लोगों पर कार्रवाई नहीं कर सकती थी, इसीलिए बीच का रास्ता निकाला गया।

असल में सरकार ने नवंबर 2019 में सोने के जेवरों और डिजाइन के लिए हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया था। सभी ज्वैलरों को हॉलमार्किंग की तैयारी और बीआईएस यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड में रजिस्ट्रेशन के लिए एक साल से ज्यादा का समय दिया गया। बाद में ज्वैलरों की मांग पर यह मियाद 15 जनवरी से पहली जून और फिर 15 जून तक बढ़ाई गई। अब सरकार ने सभी ज्वैलरों को अपने पुराने स्टॉक पर हॉलमार्किंग के लिए आगामी पहली सितंबर तक का समय दिया है। तब तक किसी भी ज्वैलर पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

हॉलमार्क एक तरह से सरकारी गारंटी होगी जो बीआईएस देगा। बीआईएस ग्राहकों को बेचे जा रहे सोने की जांच करता है। सोने के सिक्के या गहने पर हॉलमार्क के साथ बीआईएस का लोगो जरूरी है। इसका मतलब होगा कि बीआईएस के लाइसेंस वाली लैब में इसकी शुद्धता की जांच की गई है।

बीआईएस पांच साल की लाइसेंस फीस 11250 रुपए लेकर ज्वैलरों को यह लाइसेंस देती है। लाइसेंस मिलने पर ज्वैलर हॉलमार्क सेंटर पर जांच करवा कर कैरेट के हिसाब से हॉलमार्क जारी करवाता है। आम लोग पुराने जेवरों पर सीधे सेंटर जाकर हॉलमार्क नहीं लगवा सकते। उन्हें संबंधित ज्वैलर के जरिए ही यह काम करवाना होगा। लेकिन आम लोग किसी सेंटर पर शुल्क देकर सोने की शुद्धता की जांच जरूर करा सकते हैं।