दिल्ली में कोरोना संक्रमण के नए केस सारे रिकॉर्ड तोड़े डाल रहे हैं। राहत की बात यह है कि रिकॉर्ड मरीज मिलने के बाद भी रिकवरी दर 90 फीसदी बनी हुई है। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक संक्रमण का प्रभाव हल्का होने के कारण अब लोग तेजी से ठीक हो रहे हैं। इसके हिसाब से करीब 80 फीसदी संक्रमित लोगों में कोरोना वायरस के हल्के लक्षण हैं।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के मुताबिक शहर में इस वक्त कोरोना मरीजों के लिए निर्धारित 6800 बेड भरे हैं और 9000 उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार हाईकोर्ट के उस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट जाएगी जिसमें निजी अस्पतालों के 80 प्रतिशत आईसीयू बेड आरक्षित रखने की बात नहीं मानी गई थी। अब सबसे ज्यादा समस्या आईसीयू बेड्स को लेकर है।
बताया गया कि शहर के कुल सक्रिय रोगियों में से करीब 65 फीसदी का घर पर ही इलाज किया जा रहा है और होम आइसोलेशन में 99 फीसदी मरीज स्वस्थ हो रहे हैं। होम आइसोलेशन में मौतों की सूचना भी बहुत कम है।
इस बीच केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सोमवार को दिल्ली में कोरोना को लेकर बैठक बुलाई। गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि राजधानी के अस्पतालों में बेड की स्थिति संतोषजनक पाई गई। मरीजों के लिए 15789 में से 57 फीसदी अभी भी खाली हैं। बैठक में त्योहारी मौसम, गिरते तापमान और बढ़ते प्रदूषण में कोविड19 के प्रसार को रोकने के प्रयासों पर विचार किया गया। तय हुआ कि शहर के कुछ प्रमुख क्षेत्रों में सघन प्रयास किए जाएं। इनमें आरटी-पीसीआर जांच के लक्षित आंकड़े तक पहुंचना, आईसीयू और वेंटिलेटर समेत अन्य चिकित्सा संसाधनों की उपलब्धता तय कराना, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और निगरानी शामिल हैं।
दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को कोरोना की तीसरी लहर माना जा रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मानते हैं कि इसे कोरोना की तीसरी लहर कह सकते हैं। सत्येंद्र जैन ने कहा कि सरकार ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और संक्रमितों के सम्पर्क में आए लोगों की पहचान तथा जांच अब और तेजी से की जा रही है। उन्होंने कहा कि संक्रमित व्यक्तियों के पूरे परिवार, उनके करीबी लोगों, जिनमें इस रोग के कोई लक्षण नहीं है, उनकी भी जांच की जा रही है। आरटी-पीसीआर जांच भी बढ़ाई गई है।
विशेषज्ञों द्वारा एक दिन में 15000 मामले सामने आने का अनुमान लगाए जाने पर सत्येंद्र जैन का कहना था कि नए मामलों में वृद्धि को देखते हुए विशेषज्ञों ने यह अनुमान लगाया है, लेकिन मामले उस स्तर तक नहीं पहुंचेंगे। फिर भी हम पूरी तरह तैयार रहना चाहते हैं।
इस बीच एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने लापरवाही बरतने वालों को चेतावनी देते हुए कहा है कि बाजारों में घूमने, सामाजिक दूरी का पालन नहीं करने और मास्क नहीं लगाने वाले भारी चूक कर रहे हैं। जो लोग अपने घरों में खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और सोचते हैं कि घर में काफी रह लिए और अब कहीं चलते हैं, वे लापरवाही न बरतें। उन्होंने कहा कि जो युवा सोचते हैं कि उन्हें कोरोना नहीं होगा और उनकी उम्र वालों को तो बस फ्लू हो रहा है, यह गलत है। उन्होंने कहा कि एम्स में वेंटिलेटर पर भर्ती कई युवा मरीज इसके गवाह हैं कि कोरोना संक्रमण किस तरह जानलेवा हो सकता है।
डॉ. गुलेरिया का कहना था कि महामारी की शुरुआत में लोगों ने इसे गंभीरता से ले रहे थे, लेकिन उसके बाद लोग लापरवाह हो गए हैं। ज्यादातर लोगों को लगता है कि संक्रमण उनको और उनके परिवार को नहीं होगा और बाकी किसी को भी हो सकता है। यह गलत है। उन्होंने कहा कि इस वक्त देश के हर व्यक्ति को अपने बचाव पर ध्यान देना चाहिए। दिल्ली और केरल में लोगों ने लापरवाही बरती इसलिए दोनों जगह स्थिति गंभीर हो गई है।
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