केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि वायु प्रदूषण के कारण कोरोना वायरस का संक्रमण और तेजी से फैल सकता है। यह बात उन्होंने एक संसदीय समिति के समक्ष कही। ये अधिकारी केंद्रीय पर्यावरण और स्वास्थ्य मंत्रालय से संबंधित थे।

  दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की सरकारों के भी कई अधिकारी शहरी विकास संबंधी स्थायी समिति के सामने पेश हुए। समिति ने सीपीसीबी यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कई दूसरे विभागों के अधिकारियों को भी पिछले हफ्ते तलब किया था। समिति को दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर गौर करते हुए समस्या के स्थायी समाधान पर विचार करना था।

  स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति से कहा कि वायु प्रदूषण ज्य़ादा है तो खांसी और छींक की समस्या बढ़ सकती है और इससे कोरोना और तेज रफ्तार से फैल सकता है। एक शोध का हवाला देते हुए इन अधिकारियों ने कहा कि वायु प्रदूषण के कारण भारत में औसत आयु 1.7 वर्ष कम हो जाती है।

  पर्यावरण मंत्रालय के अफसरों ने समिति को दिल्ली में पिछले चार वर्षों के दौरान वायु गुणवत्ता के आंकड़ों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस अवधि में वायु गुणवत्ता सिर्फ चार दिन अच्छी थी और 319 दिन बहुत खराब थी। उनके मुताबिक 78 दिन तो ऐसे थे जब यहां की हवा की गुणवत्ता बहुत ही खराब थी।

  इस बीच पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था ‘सफर’ ने एक चेतावनी जारी की है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली और एनसीआर में लोग जरूरी होने पर ही घरों से बाहर निकलें। असल में पराली जलाने के मामले बढ़ने और हवा की गति कम होने से इस पूरे क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति और बिगड़ गई है।  पराली जलाने से पैदा हुए धुएं की हिस्सेदारी दिल्ली के प्रदूषण में 42 फीसदी तक बताई जा रही है। दिल्ली के साथ ही फरीदाबाद, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और नोएडा में भी वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ से लेकर ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई। 

  दिल्ली सरकार ने पराली गलाने वाले घोल बायो डिकंपोजर के प्रभावों का आकलन करने का फैसला किया है। इसके लिए उसने एक समिति बनाई है जिसमें पंद्रह सदस्य हैं। इनमें अधिकारियों और वैज्ञानिकों के अलावा पांच विधायक भी रखे गए हैं। यह समिति जो भी रिपोर्ट देगी, उसे दिल्ली सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में रखा जाएगा।

  पराली को खेत में ही गलाने के मकसद से पूसा के वैज्ञानिकों ने यह घोल तैयार किया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के मुताबिक लगभग 1800 एकड़ क्षेत्र में इसका छिड़काव किया गया है। उन्होंने कहा कि जिन खेतों में इसका इस्तेमाल हुआ वहां 90 से 95 फीसदी पराली गल कर खाद में तब्दील हो चुकी है। इसका पूरा आकलन करने के बाद हाल में गठित समिति अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी जिसे दीवाली के बाद सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाएगा।

  आईएमए यानी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि दिल्ली में 13 फीसदी कोरोना के मामले प्रदूषण के कारण बढ़े है। आईएमए के अध्यक्ष डॉ राजन शर्मा के अनुसार कुछ दिनों से राजधानी में कोरोना के मामले ज्यादा आ रहे हैं। उनके हिसाब से इनमें 13 फीसदी मामले बढ़ते प्रदूषण के कारण सामने आए हैं क्योंकि सांस की बीमारी वाले मरीजों को प्रदूषण से खासी दिक्कत होती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 से 100 के बीच होने पर भी ऐसे मरीजों को परेशानी होती है जबकि इसके 300 से ऊपर जाने पर एकदम स्वस्थ लोगों पर भी असर पड़ता है।