महेंद्र पाण्डेय
राष्ट्रपति चुनावों के बाद से अमेरिका खासे विचित्र हालात से गुजर रहा है। डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन को राष्ट्रपति चुनाव का विजेता माना जा रहा है, पर मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हार मानने को तैयार नहीं हैं। वे ताबड़तोड़ ऐसे फैसले ले रहे हैं, जो चुनावों के बाद और नए राष्ट्रपति के आगमन के बीच के समय में पहले किसी राष्ट्रपति ने नहीं लिए।
अमेरिका में नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण 20 जनवरी को होता है। अब तक वहां जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं उन्होंने इस अवधि में कोई भी बड़ा निर्णय नहीं लिया, पर ट्रम्प कई जिम्मेदार पदों पर बैठे अपने विरोधियों को बर्खास्त कर अपने समर्थकों को पद बाँट रहे हैं। हाल में ही ट्रम्प ने रक्षामंत्री मार्क एस्पर को बर्खास्त कर दिया और उनके स्थान पर अपने चहेते क्रिस मिलर को रक्षामंत्री बना दिया।
मार्क एस्पर वैसे तो अधिकतर मामलों में ट्रम्प का साथ देते थे, पर कुछ मामलों में उन्होंने ट्रम्प के आदेशों की अवहेलना भी की। पिछले जून-जुलाई महीनों में जब अमेरिका के लगभग सभी शहरों में ‘ब्लैक लाइव्ज मैटर’ आन्दोलन अपने चरम पर था, तब ट्रम्प ने बार-बार मार्क एस्पर को सेना की मदद से आन्दोलन का दमन करने का आदेश दिया, पर रक्षामंत्री ने सेना को सड़कों पर अपने ही देशवासियों के विरुद्ध उतारने से साफ़ इनकार कर दिया। इसके बाद ट्रम्प ने नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर को प्रदर्शनों का दमन करने का आदेश दिया, जिसे उसके तत्कालीन डायरेक्टर क्रिस मिलर ने सहर्ष स्वीकार किया, और अपने जवानों को आधुनिक हथियारों के साथ प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध तैनात कर दिया। नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर के जवानों को अमेरिका में सबसे क्रूर और खतरनाक सैनिक माना जाता है, जिनका काम उग्रवादियों और अवैध तरीके से रह रहे प्रवासियों के विरुद्ध कार्यवाही करना है।
अब ट्रम्प ने मार्क एस्पर को आदेश न मानने की सजा और क्रिस मिलर को पुरस्कार दिया है। उन्होंने क्रिस मिलर को रक्षामंत्री बनाने के क्रम में नियम और कानूनों को भी ताक पर रख दिया। अमेरिकी संविधान के अनुसार रक्षामंत्री बनाने के लिए आवश्यक है कि उस व्यक्ति को सेना से रिटायर हुए कम से कम सात वर्ष हो चुके हों, पर क्रिस मिलर को सेना से हटे अभी छह साल भी नहीं बीते हैं।
पेंटागन में ट्रम्प ने जो बदलाव किए हैं, उसके बाद उनकी अपनी भतीजी ने ही देश में तख्तापलट की आशंका जताई है। डोनाल्ड ट्रंप की भतीजी मैरी एल ट्रम्प ने ट्वीट किया ‘राष्ट्रपति चुनाव जो बाइडन वैध और निर्णायक रूप से जीते। डोनाल्ड ट्रम्प और उनके लोग कितना भी झूठ बोलें और बातों को घुमाएं, कुछ भी नहीं बदलेगा। सतर्क रहें, यह तख्तापलट का एक प्रयास है।’
असल में ट्रंप लगातार इस बात को दोहरा रहे हैं कि राष्ट्रपति चुनावों में धांधली की गई है। उनकी तरफ से लगातार ट्वीट कर जो बाइडन की जीत पर सवाल उठाया जा रहा है। दूसरी तरफ, ट्रंप से सहमति जताते हुए विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है कि सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से किया जाएगा और ट्रम्प प्रशासन अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करेगा। इस सबसे आशंकाएं और बढ़ी हैं।
मार्क एस्पर को हटाने के चौबीस घंटे बाद ही पेंटागन में कई बड़े अधिकारियों की छुट्टी की गई। इन फैसलों से सैनिल व असैनिक अधिकारियों के बीच भी चिंता का माहौल है। पेंटागन के कार्यवाहक नीति प्रमुख जेम्स एंडरसन को पद से हटा दिया गया है। उनकी जगह यह जिम्मा एंथनी टाटा को सौंपा गया है जो पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को आतंकवादी तक कह चुके हैं। टाटा हमेशा अपने विवादास्पद ट्वीट के जरिए सुर्खियों में बने रहे हैं। उन्हें रिपब्लिकन पार्टी का कट्टर समर्थक माना जाता है और उनकी गिनती ट्रम्प के करीबी लोगों में होती है। बताया जाता है कि ट्रम्प सीआईए और न्यूक्लियर सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन के प्रमुखों को भी हटाना चाहते हैं और इन पदों पर अपनी पसंद के लोगों को बिठाने की तैयारी कर रहे हैं।
अमेरिका के चुनावों में धांधली से सम्बंधित ट्रम्प और अनेक रिपब्लिकन सिनेटरों के तीखे आरोपों के बाद भी कहीं से भी धांधली की शिकायत नहीं आई। डोनाल्ड ट्रम्प ने सुप्रीम कोर्ट में इस सम्बन्ध में याचिका दायर करते हुए वोटों की गिनती दुबारा कराने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया। लेकिन अब ट्रम्प के चहेते अटार्नी जनरल विलियम बार ने सभी फ़ेडरल अटार्नी को पत्र भेज कर धांधली के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है। यह अलग बात है कि अटार्नी जनरल ने कहीं भी धांधली का कोई सबूत नहीं दिया है। अटार्नी जनरल के इस कदम की आलोचना न्याय विभाग के अधिकारी भी खुलेआम कर रहे हैं। विलियम बार के इस आदेश के बाद इलेक्शन क्राइम ब्रांच के मुखिया रिचर्ड पिल्गर ने अपना विरोध जताते हुए इस्तीफ़ा दे दिया है।
ट्रम्प और उनके समर्थकों के इस तरह के कदमों का व्यापक विरोध हो रहा है, पर ज्यादातर लोग आने वाले दिनों में अराजकता की आशंका से चिंतित हैं। ट्रम्प की इन हरकतों के कारण उनके चहेते मीडिया घराने भी अब उनकी आलोचना करने से नहीं हिचक रहे। हाल में ही ट्रम्प के कट्टर समर्थक रहे फॉक्स न्यूज़ ने भी ट्रम्प की एक प्रेस कान्फ्रेंस की लाइव रिकॉर्डिंग बीच में ही रोक दी और दर्शकों से क्षमा माँगते हुए बताया कि इस बकवास को वे आगे नहीं दिखा सकते।
बहुत से विशेषज्ञ भी अब कहने लगे हैं कि ट्रम्प पूरी तरह अराजकता का माहौल तैयार कर रहे हैं, और संभव है कि वे अंत तक अपनी हार स्वीकार ही न करें और अपने पद पर बने रहने के लिए सेना की मदद लें। उधर निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन इन हालात को शर्मिंदगी भरा बताते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि यह सब राष्ट्रपति की विरासत को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि शायद 20 जनवरी को सब चीजें ठीक हो जाएंगी और एक उम्मीद यह भी है कि अमेरिकी लोग समझते हैं कि परिवर्तन हो चुका है। (आभार – समय की चर्चा )
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