न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क 

निजीकरण की ओर बढ़ते कदमों को लेकर आलोचना झेल रही भारतीय रेलवे ने वंदे भारत ट्रेनों के टेंडर को 21 जनवरी 2021 को अंतिम रूप दे दिया। इसके तहत ट्रेन की डिजाइन, विकास, निर्माण, आपूर्ति, एकीकरण, परीक्षण और 16 कारों में से प्रत्येक में 44 रेक का निर्माण किया जाएगा। टेंडर पाने वाली कंपनी के साथ पांच साल तक सालाना मेंटनेंस का भी अनुबंध होगा।

पहली बार, टेंडर में कुल मूल्य के 75 फीसदी के बराबर जरूरतें स्थानीय स्तर से पूरी की जाएंगी। इस टेंडर में, 3 कंपनियों ने निविदाएं डालीं जिनमें सबसे कम बोली स्वदेशी कंपनी  मेधा सर्वो ड्राइव्स लिमिटेड की थी, जिसने कुल मूल्य के 75 फीसदी के बराबर राशि की स्थानीय सामग्री की शर्त को पूरा किया। इसी आधार पर मेधा सर्वो ड्राइव्स लिमिटेड को टेंडर दिया गया। टेंडर की कुल लागत लगभग 2211 करोड़ रुपये है। इसके तहत सभी 16 कारों का निर्माण भारतीय रेलवे की तीन उत्पादन इकाइयों में किया जाएगा। आईसीएफ में 24 रैक, आरसीएफ में 10 रैक और एमसीएफ में 10 रैक बनाए जाएंगे।

महत्वपूर्ण यह है कि किसी भारतीय कम्पनी ने मैरिट के आधार पर यह टेंडर पाया है। हालाँकि वन्दे भारत मिशन के लिए केंद्र सरकार की लगातार आलोचना होती रही है क्योंकि यह एक प्रीमियम सर्विस हैं और पूरी तरह से निजी कंपनियों द्वारा चलाई जा रही हैl सरकार का लक्ष्य है कि 2023 तक ऐसी 12 ट्रेनें चलाई जाएँगी जिनका उत्पादन मुख्य रूप से भारत में ही होगाl माना जा रहा है कि इनसे ऑटो सेक्टर की ही तरह रेलवे भी अपने एंसीलरी उद्योगों को अच्छा बिज़नेस देने में सक्षम होगीl