न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
इरडा यानी इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी कुछ ऐसे बीमा उत्पाद लाने के सुझावों पर विचार कर रहा है जिनसे विभिन्न कारोबारियों का कई तरह के नुकसानों से बचाव संभव है। ये सुझाव इरडा को एक कमेटी ने दिए हैं जिनमें वर्क फ्रॉम होम के का कारण आशंकित साइबर हमले भी कवर होंगे।
सीआईआई के एक वीडियो सेमिनार में इरडा के कार्यकारी निदेशक सुरेश माथुर ने इसकी जानकारी दी। कमेटी से मिले सुझावों में एक यह भी है कि छोटे कारोबारों के बंद होने पर अधिकतम दस कर्मचारियों को कम से कम 6500 रुपए वेतन दिया जाए। सुझाव के मुताबिक यह वेतन तीन महीने तक दिया जाएगा। माथुर के मुताबिक इंडियन पैनडेमिक रिस्क पूल गठित करने पर भी विचार किया जा रहा है। इस पूल का गठन देश की बीमा कंपनियों के साथ मिल कर किया जाएगा। इसका कारण यह है कि अंतरराष्ट्रीय बीमा कंपनियां पैनडेमिक कवर की सुविधा नहीं देतीं।
रिमोट वर्किंग अब हर तरफ चल रही है। ऐसे में इंश्योरेंस कंपनियों वर्कमैन और एंप्लॉयी कंपनसेशन प्रोडक्ट्स में बदलाव की उम्मीद कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना का प्रभाव उद्योगों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। इससे साइबर इंश्योरेंस की मांग बढ़ेगी और साइबर अटैक से जुड़े बीमा उत्पाद आएंगे। सुरेश माथुर का कहना था कि लॉकडाउन के कारण बीमा कंपनियों पर बिजनेस इंटरप्शन से जुड़े दावे निपटाने का दबाव बना हुआ।
असल में इरडा ने पिछले साल इंडियन पैनडेमिक रिस्क पूल की स्थापना के लिए एक वर्किंग ग्रुप गठित किया था। इसका मकसद बिजनेस को चालू रखने में आने वाली चुनौतियों को दूर करना, तनाव में कमी लाना और प्रवासी मजदूरों से जुड़े मुद्दों को सुलझाना था। वर्किंग ग्रुप ने सुझाव दिया कि पैनडेमिक पूल की स्थापना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के आधार पर होनी चाहिए। इसके लिए बीमा कंपनियों से प्रीमियम के आधार पर पूंजी जुटाई जानी चाहिए।
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