बॉस्टन, अमेरिका से सुधांशु मिश्रा
जैसा अंदेशा था डोनाल्ड ट्रम्प पराजय मानने से इनकार कर चुके हैं और यह सवाल स्वाभाविक है कि अब क्या? क्या दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में चुनाव की सारी मर्यादाओं को धता बताते हुए ट्रम्प यों ही सत्ता पर काबिज़ रहने वाले हें? इसका सीधा जवाब यह है कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि इस देश की लोकतांत्रिक संस्थाएं मजबूत हैं और जनवरी में नियत दिन व समय पर जो बॉयडन देश के 46वें राष्ट्रपति के रूप में पद पर आसीन हो जाएंगे। बॉयडन ने नेपथ्य में इसकी तैयारी शुरू भी कर दी है जिसमें अपने प्रशासन के महत्वपूर्ण पदों पर अनुभवी लोगों की तैनाती भी शामिल है। अभी दो दिन पहले उन्होंने कोविड महामारी से निपटने के लिए अपनी कार्ययोजना देश के समक्ष रखी। ध्यान रहे, ट्रम्प प्रशासन ने दस महीने बाद भी इस बारे में ऐसी कोई सुसंगठित योजना प्रस्तुत नहीं की है।
मौजूदा राष्ट्रपति तो उन अधिकारियों की छुट्टी करने के अपने शगल में व्यस्त हैं जो उनसे असहमति जताते हैं और उनके आदेश मानने से इनकार करते हैं। क्रिस्टोफर क्रेब्स उनके इस रवैये के ताजा शिकार बने, जो कि होमलैंड स्क्योरिटी विभाग में सीआईएसए यानी साइबर सिक्योरिटी एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर सिक्योरिटी एजेंसी के प्रमुख थे। क्रेब्स ने ट्विटर पर लिखा था कि चुनाव में धांधली के तमाम आरोप निराधार हैं। इसके कुछ ही घंटे बाद ट्रम्प ने ट्विटर के जरिये ही उन्हें बर्खास्त करने का ऐलान कर दिया।
अमेरिका के अखबारों, रेडियो, टीवी और सोशल मीडिया में अटकलों का बाजार गर्म है कि पद से हटने के बाद ट्रम्प का क्या होगा? संविधान के विद्वानों का कहना है कि यदि ट्रम्प ने कोई अनर्थ न कर डाला तो उनका जाना तय है, हालांकि वे कब क्या कर डालेंगे, कहा नहीं जा सकता। नई खबर यह आ रही है कि ईरान को लेकर व्हाइट हाउस में कुछ पक रहा है क्योंकि सेनेट और प्रतिनिधि सभा में दोनों दलों के कई सदस्यों ने खबरदार किया है कि ईरान पर हमला करने और अफगानिस्तान से फौज हटाने का जोखिम देश को महंगा पड़ सकता है। मगर अफगानिस्तान वाला फैसला तो ट्रम्प ने कर भी डाला।
ख़बरें ये भी हैं कि राष्ट्रपति होने के नाते ट्रम्प बचे रहे हैं, पर पद से हटते ही उनके लिए कानूनी दिक्कतें शुरू होने वाली हैं। 1973 में वाटरगेट कांड का भंडाफोड़ होने पर तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन पर फर्जीवाड़े के आरोपों का मुकदमा चलाया जाने वाला था, पर उसके पहले ही निक्सन ने इस्तीफा दे दिया और उपराष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड ने राष्ट्रपति पद संभालने के साथ ही निक्सन को क्षमादान दे दिया था। उसके बाद न्याय विभाग ने नीति बनाई कि सार्वभौम होने के कारण किसी राष्ट्रपति पर मुकदमा उसके पद छोड़ने के बाद ही चलाया जा सकेगा, वह भी सिर्फ उन्हीं मामलों में जिनमें उसे क्षमादान न मिला हो। जिमी कार्टर के समय इसमें यह बात जोड़ी गई कि राष्ट्रपति को दिया गया क्षमादान सिर्फ केंद्रीय कानूनों के संदर्भ में रहेगा, प्रांतीय सूची के विषयों में नहीं। इसी आधार पर कहा जा रहा है कि देश की विभिन्न अदालतों में दर्जनों मुकदमे ट्रम्प के राष्ट्रपति पद से हटने के इंतजार में रुके पड़े हैं। पद छोड़ने के बाद ट्रम्प के सभी विशेषाधिकार खत्म हो जाएंगे और तब उन पर मुकदमा चलाना आसान हो जाएगा। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि पद न छोड़ने की जिद के पीछे ट्रम्प का यही डर काम कर रहा है।
ट्रम्प के खिलाफ अपराधों की लंबी फेहरिस्त है। मिसाल के लिए, उनके बिजनेस में तरह-तरह की गड़बड़ियों और धांधलियों की फौजदारी और दीवानी जांच न्यूयार्क प्रांत में अंतिम चरण में पहुंच चुकी है। प्रांत के चीफ प्रॉसीक्यूटर ने एक बयान में कहा है कि जब ट्रम्प सत्ता से बाहर होंगे तो उनके लिए माहौल पूरा बदला हुआ होगा। तब वे जांच में अड़ंगा नहीं लगा पाएंगे। इसके अलावा यौन उत्पीड़न और यौनाचार के कई मामले भी चर्चा में हैं। ऐसे ही एक मामले में उनके निजी वकील माईकेल कोहेन को पिछले साल ही तीन साल की कैद भी हो चुकी है। कोहेन ने ट्रम्प के साथ यौन व्यापार में शामिल दो महिलाओं को 2016 के चुनाव के दौरान मुंह बंद रखने के लिए भारी रकम दी थी। जांच में सामने आया कि यह रकम असल में ट्रम्प के निजी खाते से आई थी।
कुछ जानकारों ने आशंका जताई है कि पद छोड़ने के पहले ट्रम्प खुद को क्षमादान दे सकते हैं, हालांकि देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है और ऐसे क्षमादान की वैधता भी संदिग्ध है। जो बॉयडन उन्हें क्षमादान देंगे, यह बात भी गले के नीचे नहीं उतरती। ट्रम्प के जीवनीकार माईकेल डीएंटोनियो ने एक टीवी चैनल पर कहा कि पकड़े जाने पर थोड़ा-बहुत जुर्माना भर के बच निकलने का उनका इतिहास रहा है।
डोनाल्ड ट्रम्प पर 400 मिलियन डॉलर का ‘विदेशी’ कर्ज भी है जो हाल में सामने आया है। अनेक लोग मानते हैं कि देश के राष्ट्रपति पर यदि कर्ज है तो वह देश-हित में नहीं है। इसमें कुछ कर्ज तो जर्मनी के एक बैंक का है, पर बाकी किसका है, यह ब्योरा सामने नहीं आया है। कहा जा रहा है कि पद से हटने के साथ ही लेनदार उनके पीछे लग जाएंगे और राष्ट्रपति ट्रम्प इससे बचने की फिराक में हैं। (आभार – समय की चर्चा )
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