न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
झारखंड में लिंचिंग को लेकर एक कानून का बिल पास किया गया है जिसमें भीड़ द्वारा पीट कर हत्या के दोषियों को उम्रकैद तक की सजा दी जाएगी। इस मंगलवार राज्य की विधानसभा ने यह विधेयक पास किया। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल, मणिपुर और राजस्थान के बाद मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान करने वाला झारखंड चौथा राज्य बन गया है।
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन झारखंड भीड़, हिंसा व मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 पास किया गया। इसके मुताबिक राज्य में अब मॉब लिंचिंग से किसी की मौत होने पर दोषियों को उम्र कैद की सजा मिलेगी और इसके साथ ही उन पर दस लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। लिंचिंग में किसी को चोट आने पर दोषियों को तीन साल तक की कैद और एक से तीन लाख रुपए तक जुर्माने की सजा दी जा सकेगी। गंभीर चोट आने की दशा में दस साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा और तीन से पांच लाख रुपए तक जुर्माना किया जा सकेगा।
राज्य के संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने यह विधेयक सदन में पेश किया था। इसके मुताबिक अगर कोई साजिश रचता है या किसी को लिंचिंग के लिए उकसाता है या इस मामले में किसी तरह की मदद करता है तो उसे भी सजा दी जाएगी। विधेयक में आरोपियों को गिरफ्तार करने में या सजा के दौरान बाधा पहुंचाने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान है। लिंचिंग संबंधी सबूत नष्ट करने वाले को भी एक साल की सजा होगी और 50 हजार रुपए जुर्माना लगेगा। यहां तक कि लिंचिंग का माहौल तैयार करने में सहयोग करने वालों को भी सजा दी जाएगी।
विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्य विपक्षी दल भाजपा के सदस्यों ने हंगामा किया और वे वेल तक पहुंच गए। उन्होंने इस कानून के जरिये सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया। भाजपा के तीन सदस्यों अमर बाउरी, अमित मंडल और रामचंद्र चंद्रवंशी ने संशोधन प्रस्ताव भी ऱके, लेकिन उन्हें नहीं माना गया। अमित मंडल ने इस विधेयक को सरकार का काला अध्याय बताया और इसे तैयार करने वाले अधिकारियों की मंशा पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इसमें भीड़ के बारे में कहा गया है कि दो या दो से अधिक। किस आधार पर दो व्यक्ति को भीड़ लिखा गया है।
दूसरी तरफ, कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं के कारण देश भर में झारखंड की फजीहत होती थी। लेकिन अब कोई ऐसा दुस्साहस नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि इस बिल में अभी कई कमियां हैं, लेकिन समय-समय पर इसमें संशोधन होता रहेगा। उनकी राय में मॉब लिंचिंग में अधिकतम उम्र कैद की जगह फांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिए था।
Comments are closed for this post.