न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

केंद्रीय भारतीय श्रमिक संघों (सीटू) की द्वि-दिवसीय देशव्यापी हड़ताल का पहले दिन सोमवार को मिला-जुला असर रहा तथा उद्योग, बैंकिंग, बिजली, खनन, सड़क परिवहन, रेल और बाजारों में कामकाज प्रभावित रहा।
भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार की कथित मजदूर विरोधी नीतियों, सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश, निजीकरण और महंगाई के विरुद्ध आहूत की गयी सीटू की इस हड़ताल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ शामिल नहीं है।
श्रमिकों के समर्थन में वामपंथियों और द्रविड़ मुनेत्र कषगम ने संसद परिसर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि अपनी लंबित मांगों और निजीकरण समेत अन्य कमर्चारी विरोधी नीतियों के खिलाफ विभिन्न विभागों के सरकारी कर्मचारी राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हैं।

केंद्र और प्रदेश सरकार को कर्मचारी विरोधी नीतियों को त्यागकर सकारात्मक रुख के साथ कर्मचारियों से बातचीत करनी चाहिए।
सीटू के महासचिव तपन सेन ने कहा कि हड़ताल के पहले दिन जबरदस्त प्रतिदान मिला है। हड़ताल के सफल होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि करोड़ों श्रमिक अपनी मांगों के समर्थन में नहीं बल्कि केंद्र सरकार की ‘राष्ट्र विरोधी विध्वंसक’ नीतियों के विरुद्ध सड़क पर उतरे हैं।
उन्होंने कहा कि तूतीकोरिन और पारादीप बंदरगाह पर कामकाज पूरी तरह से ठप रहा।

विजाग स्टील तथा भेल के इकाइयों में भी गतिविधियां बंद रही। मंगलुरु में रिफाइनरी में कामकाज प्रभावित रहा।

बीएसएनएल के कर्मचाारियों ने भी हड़ताल में भागीदारी की।

बेंगलुुरु में निजी औद्योगिक इकाइयों भी कामकाज नहीं हुआ।