न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
अमिताभ पाराशर
उत्तर प्रदेश सरकार की सिफारिश के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व बाघंबरी अखाड़े के महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हालात में हुई मौत की जांच राज्य पुलिस की एसआईटी से लेकर सीबीआई को सौंपी जा सकती है। बुधवार को महंत नरेंद्र गिरि को प्रयागराज के बाघंबरी मठ में भू-समाधि दे दी गई। इसकी प्रक्रिया महंत के सुसाइड नोट में घोषित उनके उत्तराधिकारी बलवीर ने संपन्न कराई।
महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम स्वरूप रानी नेहरू हॉस्पिटल में पांच डॉक्टरों के पैनल ने किया। शुरुआती रिपोर्ट में दम घुटने से मौत यानी फांसी लगाने की बात सामने आई बताई जाती है। पोस्टमार्टम और गंगा स्नान के बाद पार्थिव शरीर लेटे हुनमान मंदिर ले जाया गया जहां के वे महंत थे। उसके बाद यह यात्रा बाघंबरी मठ पहुंची। भू-समाधि के समय तेरह अखाड़ों के साधु-संत मौजूद थे। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और कई अन्य नेता भी अंतिम यात्रा में शामिल थे। साधु-संतों में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े पूर्व सांसद राम विलास दास वेदांती और साध्वी निरंजन ज्योति भी वहां उपस्थित थे।
भू-समाधि के बाद ही सुसाइड नोट में घोषित उत्तराधिकारी बलवीर से पूछताछ शुरू हो गई। बाघंबरी मठ के अंदर ही एसआईटी ने बंद कमरे में यह पूछताछ की। इसकी वजह यह थी कि बलवीर का अब कहना है कि उत्तराधिकारी कौन होगा, यह निर्णय पंच परमेश्वर लेंगे। पहले वे खुद को उत्तराधिकारी बता रहे थे। पहले वे सुसाइड नोट की राइटिंग को अपने गुरु नरेंद्र गिरि की बता रहे थे, लेकिन बाद में कहा कि मैं राइटिंग नहीं पहचान पा रहा। उधर सुसाइड नोट में उल्लिखित आनंद गिरि और आद्या चौदह दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिए गए हैं। दूसरी तरफ, तेरह अखाड़ों ने सुसाइड नोट की बात को सिरे से खारिज कर दिया है जिसके कारण उत्तराधिकारी के चयन के लिए होने वाली पंच परमेश्वर की बैठक भी टल गई है।
बुधवार को महंत नरेंद्र गिरि के अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ को देखते हुए प्रयागराज में स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी कर दी गई थी। महंत नरेन्द्र गिरि की मौत के मामले में आरोपी उनके शिष्य आनंद गिरि और लेटे हुए हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी के बाद उनके बेटे संदीप तिवारी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। इन तीनों के नाम नरेन्द्र गिरि के सुसाइड नोट में थे। इन पर नरेन्द्र गिरि को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। आनंद गिरी को हरिद्वार से गिरफ्तार करके लाया गया।
पुलिस सूत्रों का दावा था कि अब तक की जांच में पता लगा है कि महंत नरेंद्र गिरि का शिष्य आनंद गिरि उन पर पिछले आठ साल से हावी था। महंत और आनंद एक-दूसरे के राजदार थे। सूत्र यहां तक कहते हैं कि आनंद उन्हें डराता था कि यदि वह उनका उत्तराधिकारी नहीं बन सका तो उनका एक वीडियो वह सार्वजनिक कर देगा। सुसाइड नोट में भी कंप्यूटर से तैयार की गई एक तस्वीर का जिक्र है। वैसे यह दिलसच्प है कि इसे मिला कर पिछले चार साल में उत्तर प्रदेश में चौबीस साधुओं की हत्या या संदिग्ध तरीके से मौत हो चुकी है। (आभार – समय की चर्चा)
Comments are closed for this post.