न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में कोविड के 21 मरीजों की मौत से जुड़ी जो रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी गई है उसे प्राथमिक रिपोर्ट माना जाए क्योंकि यह महज एक दिन में तैयार की गई। यह दावा दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने किया है। इस रिपोर्ट में इन मौतों की वजह ऑक्सीजन की कमी नहीं बताई गई है।

पिछले शुक्रवार सत्येंद्र जैन पूछा गया था दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली सरकार की कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें यह क्यों कहा गया है कि जयपुर गोल्डन अस्पताल में हुई मौतें ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थीं। जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस मामले में रिपोर्ट एक दिन में सौंपी जानी थी। इसलिए आप कह सकते हैं कि यह एक प्राथमिक रिपोर्ट थी। उन्होंने आगे कहा कि अंतिम रिपोर्ट के लिए हमने एक नई कमेटी गठित की थी, जो बत्रा अस्पताल आदि में हुई इस तरह की सभी मौतों की जांच करने वाली थी, लेकिन उपराज्यपाल ने उस कमेटी को भंग कर दिया।

बहरहाल, हाईकोर्ट को सौंपी दिल्ली सरकार की रिपोर्ट में विशेषज्ञ कमेटी के निष्कर्षों के हवाले से कहा गया है कि रोग के प्राकृतिक स्वरूप और मौतों का संबंध ऑक्सीजन की कमी से होने के बारे में साक्ष्य के अभाव के चलते समिति की राय है कि ये मौतें ऑक्सीजन की कमी के चलते नहीं हुईं। रिपोर्ट के मुताबिक इन कई मरीजों को हृदय रोग, मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर आदि जैसे रोग पहले से थे। ये सभी मरीज अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान किसी न किसी तरह की ऑक्सीजन सहायता या वेंटिलेटर पर निर्भर थे।

इससे पहले सत्येंद्र जैन ने कहा था कि दिल्ली और अन्य स्थानों पर ऑक्सीजन की कमी से किसी कोरोना मरीज की मौत नहीं हुई, यह कहना सरासर झूठ है। उन्होंने राज्यसभा में इस संबंध में दिए केंद्र के एक बयान के जवाब में यह दावा किया था।

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 23 अप्रैल को उत्तर पश्चिम दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी के चलते गंभीर रूप से बीमार 21 संक्रमितों की मौत हो गई थी। वहीं, तुगलकाबाद इलाके में स्थित बत्रा अस्पताल में ऑक्सीजन की कथित कमी के चलते एक मई को कोरोना के आठ मरीजों की मौत हो गई थी।  इसी तरह गंगाराम अस्पताल में इसी कारण से कई मरीजों की जान गई थी। हालत यह थी कि निजी अस्पताल खुद दिल्ली हाईकोर्ट जाकर ज्यादा ऑक्सीजन दिलवाने की मांग कर रहे थे।