न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

संजय चतुर्वेदी

व्यापारियों को अब असली और नकली छापे में अंतर कर पाने की समस्या से छुटकारा मिल गया है। वे समझ ही नहीं पाते थे कि जो अधिकारी छापा मारने आये हैं वे वाकई विभाग की ओर से आये हैं या वैसे ही उगाही करना चाहते हैंl लेकिन अब ऐसा नहीं होगाl केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के नए नियम के मुताबिक अब जीएसटी के अधिकारी डिन यानी डॉक्यूमेंट आइडेंटीफिकेशन नंबर के जरिए जारी वारंट के साथ ही किसी कारोबारी के यहां छापा मार सकेंगे।

कारोबारियों की तमाम मामलों में शिकायत होती थी कि अधिकारी कई बार बाद में सर्च वारंट अपने हिसाब से बदल लेते थे। अब डिन से सर्च वारंट जारी किए जाने से उसे कभी बदला नहीं जा सकेगा।

जीएसटी में सर्च वारंट के लिए अधिकारियों को अपने से वरिष्ठ अधिकारी से इसकी अनुमति लेनी होती है। इसके बाद सर्च वारंट जारी किया जाता है। कारोबारियों की शिकायत थी कि कुछ बदलाव होने पर अधिकारी सर्च वारंट को अपने हिसाब से बदल लेते थे। जिन चीजों को तलाशी के लिए जरूरी बताया जाता था, वे उसमें भी बदलाव कर लेते थे। अब बोर्ड ने कहा है कि जो भी सर्च वारंट जारी होगा उसके लिए जरूरी कारण बताने होंगे। इसके अलावा सर्च वारंट डिन के जरिए ही जारी होना चाहिए ताकि उसे बदला नहीं जा सके और जो अधिकारी चाहे डिन नंबर डाल कर उसे तुरंत देख सके कि वास्तव में सर्च वारंट में क्या कहा गया था।

साथ ही किसी सर्च वारंट से यह भी पता चलता है कि वह किसके नाम पर जारी हुआ है। अगर उसका निधन हो चुका है तो उसी सर्च वारंट के आधार पर उसके वारिसों के ठिकानों पर छापा नहीं मारा जा सकता। अगर ऐसा करना जरूरी है तो संबंधित अधिकारी को फिर से वारंट जारी कराना होगा और उसके लिए भी जरूरी कारण अपने वरिष्ठ अधिकारी को बताने होंगे। (आभार – समय की चर्चा )