न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

आंध्र प्रदेश और हरियाणा के बाद अब झारखंड भी निजी क्षेत्र में राज्य के लोगों को आरक्षण देने की तैयारी कर रहा है। यह आरक्षण 75 प्रतिशत होगा। राज्य सरकार ने इसकी कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि राज्य विधानसभा के चालू सत्र में ही यह प्रस्ताव पेश कर दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले भी निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत स्थानीय आरक्षण जरूरी बताते आए हैं। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि 75 प्रतिशत आरक्षण स्थानीय लोगों को देने में निजी उद्योगों को परेशानी न हो, इसका ख्याल रखा जाए। इसीलिए यह आरक्षण केवल उन्हीं पदों पर लागू करने की तैयारी निजी हो रही है जिनका वेतन 30 हजार रुपये महीने तक है।

निजी कंपनियों की तकनीकी जरूरतों को देखते हुए तय किया गया है कि किसी कंपनी में 100 पदों का वेतन 30 हजार तक है तो इनमें से 75 पदों पर स्थानीय को आरक्षण मिलेगा। लेकिन इससे अधिक वेतन वाले पदों पर यह आरक्षण लागू नहीं होगा।

इसके साथ ही हेमंत सोरेन सरकार राज्य के बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की भी तैयारी कर रही है। यह भत्ता पांच हजार रुपए होगा जो कि साल में एक बार दिया जाएगा। श्रम विभाग को इसके लिए करीब 120 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे। वैसे बेरोजगारी भत्ते की घोषणा राज्य विधानसभा के पिछले साल के बजट सत्र में की गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण सरकार इसे लागू नहीं कर पाई थी।

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले साल मई में कोरोना महामारी के दौरान झारखंड में बेरोजगारी दर बढ़ कर 59.2 फीसदी हो गई थी, लेकिन यह जनवरी 2021 में गिर कर 11.3 फीसदी हो गई थी। निजी क्षेत्र में आरक्षण की जो बात चल रही है उसके तहत राज्य में चल रहे सभी निजी औद्योगिक इकाइयों, संयुक्त उद्यम, पीपीपी मोड में चल रही परियोजनाएं भी आएंगी। निजी क्षेत्र बाकी 25 फीसदी पदों पर किसी को भी रख सकेगा।

इस कानून के लागू होने के तीन साल के भीतर कंपनियों को उसके प्रावधानों पर अमल करना होगा और उसके बाद संबंधित नोडल एजेंसी को तीन महीने के भीतर रिपोर्ट देनी होगी। ध्यान रहे, हेमंत सोरेन की पार्टी जेएमएम यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विधानसभा के 2019 के चुनाव के समय इस आरक्षण का वादा किया था। उसमें बेरोजगारी भत्ता देने का भी वादा किया गया था।