न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
देश में फिर से कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। वैक्सीनेशन का दूसरा चरण भी शुरू हो गया है और आम लोगों के एक वर्ग को लगभग सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में टीका लगाया जा रहा है। मगर नए संक्रमित लोगों के मिलने की रफ्तार भी तेज हो रही है।
ऐसे राज्यों की संख्या भी ज्यादा होती जा रही है जहां कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। इनमें सबसे खराब स्थिति महाराष्ट्र की है। उसके अलावा केरल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली में भी केस बढ़ रहे हैं। कई विशेषज्ञ इसे कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर मानते हैं। उनके मुताबिक टीका लगवाना ही कोरोना की रोकथाम का एकमात्र उपाय है।
दो दिन पहले भारत बायोटेक ने अपनी वैक्सीन कोवैक्सिन के तीसरे चरण क्लीनिकल परीक्षण के अंतरिम नतीजे जारी कर दिए। उसका दावा है कि यह वैक्सीन 81 फीसदी तक असरदार साबित हुई। वैसे सरकार ने जनवरी के पहले हफ्ते में ही सीरम इंस्टीट्यूट वाली वैक्सीन के साथ ही कोवैक्सिन को भी आपात मंजूरी दे दी थी जिस पर कई तरह के सवाल उठ रहे थे और बहुत से लोग भारत बायोटेक की वैक्सीन लगवाने से हिचकते दिख रहे थे। हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने आईसीएमआर यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिल कर यह वैक्सीन तैयार की है। लोगों की हिचक दूर करने के लिए ही इस सोमवार खुद प्रधानमंत्री ने कोवैक्सिन का टीका लगवाया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हिसाब से अब तक एक करोड़ साठ लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। मगर चिंता की बात यह है कि लगभद नौ लाख स्वास्थ्य कर्मा वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने अभी नहीं आए हैं। संक्रमण के हालात को देखते हुए गृह मंत्रालय ने कोरोना की पिछली गाइडलाइन को ही मार्च अंत तक लागू रखने का फैसला किया है। इसका मतलब हुआ कि कंटेनमेंट जोन में निगरानी जारी रहेगी। भीड़ नहीं लगने दी जाएगी और कोरोना मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों को अलग-थलग रहना होगा। सभी राज्यों से वैक्सीनेशन बढ़ाने के लिए भी कहा गया है।
इस बीच कोरोना का नया स्ट्रेन देश के अठारह राज्यों में फैल चुके हैं जो इग्लैंड, साउथ अफ्रीका और ब्राजील से आए बताए गए। नए स्ट्रेनों के अब तक दो सौ से ऊपर मामले सामने आ चुके हैं। इनमें कुछ विदेशी नागरिक भी हैं। एनसीडीसी य़ानी नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल सभी राज्यों से इस बाबत जानकारियां जुटा रहा है।
उधर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि दुनिया को इस साल कोरोना से छुटकारा मिलने की उम्मीद नहीं है। संगठन के इमरजेंसी डायरेक्टर माइकल रेयान ने कहा कि यह सोचना गलत है कि इस साल दुनिया को कोरोना से लड़ाई में कामयाबी मिल जाएगी। मगर उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों और उनकी मौतों को कम जरूर किया सकता है।
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