न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

सरकार चाहती है कि उसके सभी मंत्रालयों और विभागों की पुरानी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशनों की नवीनीकरण नहीं किया जाए। इस बाबत सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के प्रस्ताव की मसौदा अधिसूचना जारी कर सभी संबंधित पक्षों से राय मांगी गई है। इस नियम को इसी पहली अप्रैल से लागू किए जाने का प्रस्ताव है।

यहां पुराने वाहनों से मतलब है जिन्हें पंद्रह साल हो चुके हैं। संबंधित पक्षों से मिले सुझावों पर विचार करने के बाद इसका अंतिम नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इसके दायरे में केंद्र सरकार के अलावा राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, सार्वजनिक क्षेत्र के सभी उपक्रमों, स्थानीय निकायों और स्वायत्त संस्थों के भी वाहन आएंगे। यह प्रस्ताव ताजा केंद्रीय केंद्रीय बजट में वॉलेंट्री व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी लाने की घोषणा की रोशनी में लाया गया बताया जात है। इस पॉलिसी के तहत निजी वाहनों की बीस साल बाद और कमर्शियल वाहनों को पंद्रह साल बाद ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट कराना होगा। इसमें फेल होने वाले वाहन अगर सड़क पर उतरे तो उन्हें जब्त कर चलाने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। पुराने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के मकसद से यह पॉलिसी लाई गई है।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी कह चुके हैं कि शुरु में करीब करोड़ वाहन स्क्रैपिंग पॉलिसी के दायरे में आएंगे। इस पॉलिसी से दस हजार करोड़ रुपए का नया निवेश आएगा और करीब पचास हजार रोजगार पैदा होंगे। गडकरी ने यह भी घोषणा की थी कि जो लोग अपने पुराने वाहनों को स्क्रैपिंग पॉलिसी के तहत बेच कर नया वाहन खरीदेंगे, उन्हें वाहन निर्माता कंपनियों की ओर से पांच प्रतिशत की छूट दी जाएगी। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों से ग्रीन टैक्स या अन्य लेवी की वसूली का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा ऑटोमेटिड सेंटर्स पर फिटनेस और पॉल्यूशन टेस्ट को अनिवार्य बनाया गया है। यह ऑटोमेटिड सेंटर देश भर में खुलेंगे।

इस पॉलिसी में निजी क्षेत्र के साथ मिल कर स्क्रैपिंग सेंटर बनाना एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राज्य सरकारें इसके लिए जमीन उपलब्ध कराएंगी। नगर उनका नियमन और नियंत्रण सरकार के पास नहीं रहेगा। शिपिंग सेक्टर में पहले से ही काफी विकसित स्क्रैपिंग सेंटर मौजूद हैं। वाहनों की स्क्रैपिंग को शिपिंग आदि सेक्टरों के साथ जोड़ने की भी योजना है।