न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क
अमिताभ पाराशर
लोजपा यानी लोक जनशक्ति पार्टी के दो हिस्से हो गए हैं। उसका पुराना नाम और चुनावचिन्ह अब नहीं रहे। चिराग पासवान के नेतृत्व वाली पार्टी का नाम लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) होगा और उसका चुनाव चिन्ह हेलिकॉप्टर रहेगा। दूसरे हिस्से यानी चिराग के चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस वाले हिस्से का नाम रालोजपा यानी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी होगा। इसे सिलाई मशीन का चुनाव चिन्ह दिया गया है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने दोनों पार्टियों को मंजूरी दे दी है। वरिष्ठ नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके बेटे चिराग के अपने चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ मतभेद हो गए थे। ऐसा 2020 के बिहार विधानसभा के चुनाव के बाद हुआ जिसमें लोजपा एनडीए से अलग होकर लड़ी और केवल एक सीट जीत पाई। फूट के पीछे नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का हाथ बताया जाता है जिनको हराने की चिराग पासवान ने विधानसभा चुनावों में बाकायदा मुहिम छेड़ दी थी।
बहरहाल पशुपति पारस और उनके साथियों ने चिराग को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता पद से हटा दिया। दोनों गुट पार्टी पर अपना-अपना दावा करने लगे और मामला चुनाव आयोग के पास पहुंचा। मंगलवार को आयोग ने दोनों गुटों को अलग अलग पार्टी के तौर पर मान्यता दे दी।
दिलचस्प य़ह है कि पार्टी के दो टुकड़े हो जाने के बाद भी चिराग पासवान की नीतीश विरोधी मुहिम खत्म नहीं हुई है। उनके करीबी लोगों का कहना है कि उनकी पार्टी तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीटों होने जा रहे विधानसबा उपचुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। वह भी इस उद्देश्य के साथ कि जदयू और नीतीश कुमार को नुकसान पहुंचाया जाए। दूसरी तरफ उनके चाचा की पार्टी इन उपचुनावों में एनडीए का समर्थन करने जा रही है।
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