न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

महेंद्र पाण्डेय

नेपाल की युवा महिलायें इन दिनों आन्दोलन पर हैंI इसका कारण नेपाल सरकार द्वारा लाया गया एक कानून में संशोधन का प्रस्ताव है जिसके लागू होने के बाद वे अकेले विदेश यात्रा नहीं कर पाएंगीI नेपाल के इमीग्रेशन विभाग के अनुसार यह प्रस्ताव मानव, विशेष तौर पर महिलाओं की, तस्करी रोकने के लिए लाया गया हैI

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने तीन दिन पहले एक ऐतिहासिक फैसले में देश की संसद के निचले सदन को बहाल कर दिया है। दो महीने पहले प्रधानमंत्री केपी ओली ने इस सदन को भंग कर अगले अप्रैल में नए चुनावों की घोषणा कर दी थी। उन्होंने ऐसा सिर्फ इसलिए किया कि सत्तारुढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी में उनके खिलाफ बगावत चल रही है। बहरहाल, महिलाओं का यह आंदोलन देश के राजनीतिक घटनाक्रम से लग है।

जिस संशोधन प्रस्ताव से महिलाएं आंदोलित हैं उसके अनुसार चालीस वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को अफ्रीकी और मध्य-पूर्व के देशों में अकेले जाने से पहले अपने परिवार और स्थानीय प्रशासन की मंजूरी प्रस्तुत करनी होगीI इस प्रस्ताव को महिला संगठनों और कार्यकर्ताओं ने असंवैधानिक और बकवास करार दिया हैI आन्दोलन बढ़ते देख इमीग्रेशन विभाग ने स्पष्टीकरण जारी किया कि यह क़ानून अभी पूरी तरह लागू नहीं किया गया है और यह केवल असुरक्षित महिलाओं पर ही लागू होगाI इस स्पष्टीकरण के बाद से महिला संगठन और मानवाधिकार कार्यकर्ता “असुरक्षित महिला” की परिभाषा पूछ रहे हैंI

लगभग हर दिन राजधानी काठमांडू के लगभग मध्य में स्थित मैतिघर मंडला पर सैकड़ों महिलायें इस प्रस्तावित क़ानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं और शांतिपूर्ण मार्च निकाल रही हैंI इन प्रदर्शनों में महिलायें बलात्कार के दोषियों पर कार्यवाही ना होने और महिला अधिकारों के हनन का मुद्दा भी उठा रही हैंI अधिकतर महिलायें, आंकड़ों के साथ बता रही हैं कि केवल महिलायें ही तस्करी का शिकार नहीं हैं, बल्कि पुरुष भी हैं। फिर विदेश यात्रा पर रोक का क़ानून केवल महिलाओं के लिए ही क्यों बनाया जा रहा है? नेपाल के मानवाधिकार आयोग के अनुसार वर्ष 2018 में नेपाल के कुल 35000 नागरिक मानव तस्करी का शिकार बने, जिनमें 15000 महिलायें, 5000 बालिकाएं और बाकी पुरुष थेI

‘वीमेन लीड’ नामक संस्था की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हिमा बिष्ट के अनुसार कट्टर पितृसत्तात्मक सोच वाला समाज कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता की महिलायें स्वतंत्र हों और आगे बढ़ें। उनके मुताबिक यह क़ानून भी ऐसी ही सोच का नतीजा हैI नेपाल की भूतपूर्व चुनाव आयुक्त इला शर्मा कहती हैं कि आजकल के शिक्षित अधिकारी महिलाओं को कमजोर मानते हैं और उन्हें एक परिपक्व नागरिक और वयस्क मानने से हिचकते हैं। लगता है कि इस क़ानून की रूपरेखा भी ऐसे ही अधिकारियों ने तैयार की हैI ऐसे अधिकारी महिला सशक्तीकरण, उनकी क्षमताओं के विकास और उन्हें पर्याप्त मौके देने के बदले पुरातनपंथी और असंवैधानिक रास्ता तलाश करते हैंI

नेपाल में यह सब उस दौर में हो रहा है, जब दुनिया में अनेक जगहों पर महिलायें तेजी से आगे बढ़ रही हैंI वर्ल्ड ट्रेड आर्गनाइजेशन की मुखिया पहली बार एक अश्वेत अफ्रीकी महिला होने जा रही हैंI नाइजीरिया की अर्थशास्त्री और पूर्व वित्तमंत्री नगोज़ी ओकोंजो इवेअला वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाईजेशन की अगली मुखिया बनाने वाली हैंI वे पच्चीस वर्षों तक विश्व बैंक में डेवलपमेंट इकोनॉमिस्ट भी रह चुकी हैंI वैश्विक व्यापार के सन्दर्भ में स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा स्थित वर्ल्ड ट्रेड आर्गनाईजेशन दुनिया का सबसे शक्तिशाली संस्थान हैI इससे पहले अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति बन कर कमला हैरिस ने एक नया कीर्तिमान बनायाI सोवियत संघ से अलग हुए देशों में से एक एस्तोनिया ने हाल में ही क़ज़ा कल्लास के तौर पर अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री चुनी हैI एस्तोनिया दुनिया का ऐसा पहला देश भी है जहां वर्तमान में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों महिलाएं हैंI

जापान की ओलंपिक मंत्री और भूतपूर्व ओलंपियन सिको हाशिमोतो को टोक्यो ओलंपिक 2020 ऑर्गनाइजिंग कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया हैI हाशिमोतो स्पीड स्केटर के तौर पर चार शीत ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले चुकी हैं और एक कांस्य पदक भी जीता हैI उन्होंने ट्रैक साइकिलिस्ट की हैसियत से तीन ग्रीष्म ओलंपिक में भी हिस्सा लिया हैI वे प्रधानमंत्री योशिहिदा सुगा के मंत्रिमंडल की मात्र दो महिला मंत्रियों में से एक हैंI टेनिस के ग्रैंड स्लैम, ऑस्ट्रेलियन ओपन में सेरेना विलियम्स को सेमी फाइनल में हराने के बाद जापानी टेनिस स्टार नाओमी ओसाका ने सिको हाशिमोतो के ओलंपिक कमेटी के अध्यक्ष बनाने पर कहा की यह सही में बहुत खुशी की बात है और लैंगिक समानता का एक उदाहरण भीI ओसाका ने आगे कहा की महिलाओं को लगभग हर क्षेत्र में मर्दों से बराबरी के लिए लड़ना पड़ता है। यह एक जीत है, पर बहुत से क्षेत्रों में अभी भी समानता बहुत दूर हैI सिको हाशिमोतो को अध्यक्ष नियुक्त करने के बाद कमेटी ने कहा की उसे उम्मीद है की लैंगिक समानता और विविधता के आदर्शों को इन खेलों में पूरी तरह से अपनाया जाएगाI इन्टरनॅशनल ओलंपिक कमेटी के चेयरमैन थॉमस बाश ने भी इस खबर पर खुशी जताते हुए कहा कि लैंगिक समानता का यह एक आदर्श उदाहरण हैI

इस सबके बाद भी यह दुखद तथ्य है की इस समय दुनिया के अधिकतर हिस्सों में महिलायें अपने अधिकारों के लिए आन्दोलन कर रही हैंI उनके शुरू किये आन्दोलनों में प्रायः लोग अधिक संख्या में आते हैं, ऐसे आन्दोलन अहिंसक रहते हैं और अधिकतर मामलों में सफल भी रहते हैं। महिलाओं द्वारा आन्दोलनों की शुरुआत का इतिहास पुराना हैI हाल के वर्षों में अल्जीरिया, लेबनान, बेलारूस, अमेरिका, सूडान, मेक्सिको, फिलीपींस, भारत, ब्राज़ील और ईरान में ऐसे आन्दोलन किये जा चुके हैं या फिर किये जा रहे हैंI हमारे देश में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरुद्ध दिल्ली के शाहीन बाग़ के आन्दोलन की चर्चा पूरी दुनिया में की गई, और प्रतिष्ठित पत्रिका टाइम ने वर्ष 2020 के दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में बिलकीस दादी को भी शामिल किया था।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर एरिका चेनोवेथ और जोए मार्क्स ने 2010 से 2014 के बीच दुनिया भर में किये गए बड़े आन्दोलनों का विस्तृत अध्ययन कियाI इनके अनुसार 70 प्रतिशत से अधिक अहिंसक आन्दोलनों की अगुवाई महिलाओं ने की हैI इनके अनुसार महिलाओं की अगुवाई वाले आन्दोलन अपेक्षाकृत अधिक बड़े और अधिकतर मामलों में सफल रहे हैंI महिलाओं के आन्दोलन अधिक सार्थक और समाज के हर तबके को जोड़ने वाले होते हैं। इनकी मांगें भी स्पष्ट होती हैंI साथ ही, महिलायें आन्दोलनों के नए तरीके अपनाने से भी नहीं हिचकतींI (आभार – समय की चर्चा )