न्यूज़गेट प्रैस नेटवर्क

क्रिप्टोकरेंसी यानी बिटक्वाइन जैसी डिजिटल करेंसियों को भारत सरकार पूरी तरह बंद करने जा रही है। इसकी बजाय सरकार अपनी आधिकारिक डिजिटल करेंसी लाएगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इसकी और इससे संबंधित नियमों की तैयारी कर रहा है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक एक उच्च-स्तरीय कमेटी ने सभी वर्चुअल करेंसी को भारत में बैन करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो एसेट्रस को अवैध गतिविधियों व पेमेंट सिस्टम से खत्म करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे। इससे यह आशंका पैदा हो गई है कि सरकार बिटक्वाइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने का फैसला कर सकती है। अनुमान है कि देश में डेढ़ से दो करोड़ डॉलर की क्रिप्टोकरेंसी खरीदी गई है।

इससे पहले रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो ने कहा था कि केंद्रीय बैंक की आंतरिक समिति अपनी डिजिटल मुद्रा जारी करने के तौर-तरीकों पर विचार कर रही है। जल्दी ही वह इस बारे में अपनी सिफारिशें देगी। असल में रिजर्व बैंक यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि डिजिटल करेंसी को लाना कितना उपयोगी होगा।

पिछले हफ्ते वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में एक सवाल पर बताया कि एक उच्चस्तरीय समिति ने सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है और कहा है कि देश में केवल सरकार की ओर से जारी ई-करेंसी को ही मंजूरी दी जाए। रिजर्व बैंक इस आधिकारिक डिजिटल करेंसी को जल्द से जल्द लाने पर काम कर रहा है।

वैसे रिजर्व बैंक की एक बुकलेट में कहा गया है कि बिटकॉइन जैसी निजी डिजिटल करेंसियों ने हाल के वर्षों में लोकप्रियता हासिल की है, लेकिन भारत में नियामकों और सरकारों ने इन मुद्राओं के बारे में संदेह जताया है और इसके जोखिमों को लेकर काफी सावधान बरती जा रही है। फिर भी, रिजर्व बैंक अपनी डिजिटल करेंसी की संभावनाएं खोज रहा है।

वर्ष 2018 में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े भुगतानों के लिए बैंकों के उपयोग पर रिजर्व बैंक ने प्रतिबंध लगा दिया था। फिर पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन पर सवाल उठाए। क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी मुद्रा है,  जो कंप्यूटर एल्गोरिद्म पर बनी होती है। यह एक स्वतंत्र मुद्रा है, जिस पर किसी का अधिकार नहीं होता। यह एक डिजिटल करेंसी होती है, जिसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। आम तौर पर इसका प्रयोग कोई सामान या कोई सर्विस खरीदने के लिए किया जाता है। इसे कोई देख या छू नहीं सकता।

बिटकॉइन नामक क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 2009 में हुई थी। इसे जापान के सतोषी नाकमोतो नाम के एक इंजीनियर ने बनाया था। धीरे-धीरे इसके रेट आसमान छूने लगे। अब तक एक हजार से ऊपर क्रिप्टोकरेंसियां बाजार में आ चुकी हैं।

क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने से पहले निवेशकों को अपना पैसा निकालने के लिए तीन से छह महीने तक का समय दिया जा सकता है। लेकिन इसके लिए उन्हें पेनाल्टी चुकानी होगी। डिजिटल करेंसी बिल 2021 में इसकी व्यवस्था की जाने वाली है। यह विधेयक बजट सत्र में ही पेश किया जाएगा। इसके साथ ही तमाम निजी क्रिप्टोकरेंसी और उनके ट्रेडिंग एक्सचेंज को बैन किया जाएगा। इस विधयेक में निजी क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन को दंडनीय अपराध बनाने का भी प्रस्ताव होगा। दोषियों के लिए जुर्माने या कैद या दोनों का प्रावधान किया जाएगा।